नौणी विश्वविद्यालय के कुलपति राष्ट्रपति भवन में गणतंत्र दिवस ‘ऐट होम’ समारोह में होंगे शामिल

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स़ोलन नौणी, ब्यूरो सुभाष शर्मा 24 जनवरी 2024

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डॉ यशवंत सिंह परमार औदयानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के कुलपति प्रोफेसर राजेश्वर सिंह चंदेल को देश के 75वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति भवन में ‘ऐट होम’ रिसेप्शन में भाग लेने के लिए निमंत्रण मिला है। प्रोफेसर चंदेल इस प्रतिष्ठित कार्यक्रम के लिए आमंत्रित शिक्षाविदों के प्रतिष्ठित समूह का हिस्सा होंगें।

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राष्ट्रपति भवन का निमंत्रण देश भर में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने में प्रोफेसर चंदेल के उल्लेखनीय योगदान को दर्शाता है। प्राकृतिक कृषि खुशहाल किसान योजना के कार्यकारी निदेशक के रूप में कार्य करते हुए, उन्होंने हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक खेती को एक जन आंदोलन बनाने में अहम भूमिका निभाई है। राष्ट्रीय स्तर पर प्रोफेसर चंदेल केंद्रीय कृषि मंत्री की अध्यक्षता में गठित राष्ट्रीय समिति के सदस्य हैं, जो देश में प्राकृतिक खेती के विस्तार के लिए कार्य कर रही है।

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प्रो चंदेल के दूरदर्शी नेतृत्व में नौणी विवि ने प्राकृतिक खेती पद्धती पर वैज्ञानिक डेटा इकट्ठा करने में अग्रणी भूमिका निभाई है। इससे न केवल भारतीय वैज्ञानिक समुदाय के भीतर बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्राकृतिक कृषि की ओर ध्यान केन्द्रित किया है। देश भर में कृषि विज्ञान केंद्रों और विभिन्न विश्वविद्यालयों के वैज्ञानिकों के लिए क्षमता-निर्माण कार्यक्रमों के माध्यम से अपनी विशेषज्ञता साझा करने के अलावा, विश्वविद्यालय को यूरोपीय आयोग द्वारा वित्त पोषित कृषि-पारिस्थितिकी फसल प्रथाओं के लिए अंतर्राष्ट्रीय पहल में एक भागीदार संस्थान के रूप में मान्यता दी गई है। इस परियोजना में 11 देशों के 15 प्रसिद्ध संस्थान शामिल हैं, जिसमें नौणी विवि भारत का प्रतिनिधित्व करने वाला एकमात्र विश्वविद्यालय है।

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प्रोफेसर चंदेल ने राष्ट्रीय स्तर पर कृषि स्नातकों एवं स्कूली छात्रों के लिए एक व्यापक प्राकृतिक खेती पाठ्यक्रम तैयार करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसके अलावा, विश्वविद्यालय राज्य में स्थापित विभिन्न प्राकृतिक खेती किसान उत्पादक कंपनियों को सहायता प्रदान करने के लिए नाबार्ड और हिमाचल के कृषि विभाग के साथ सक्रिय रूप से सहयोग कर रहा है। प्राकृतिक खेती में प्रोफेसर चंदेल के बहुमुखी योगदान ने न केवल राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि वैश्विक मंच पर भी विश्वविद्यालय का कद काफी बढ़ाया है।

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