महाशिवरात्रि: भगवान शिव और माता पार्वती के पावन मिलन का पर्व

मदन शर्मा भारत केसरी टीवी

Advertisement

महाशिवरात्रि का पर्व हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। हिंदू धर्म में इसे अत्यंत पवित्र पर्व माना जाता है, क्योंकि इसी दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था। कहा जाता है कि महादेव ने इस दिन वैराग्य को त्यागकर गृहस्थ जीवन को अपनाया था। चतुर्दशी तिथि स्वयं भगवान शिव को समर्पित मानी जाती है, और इस दिन विशेष रूप से उनका रुद्राभिषेक किया जाता है। मान्यता है कि जो भक्त सच्चे मन से भोलेनाथ की पूजा करते हैं, उन पर शिवजी की विशेष कृपा बनी रहती है।

महाशिवरात्रि के अवसर पर महिलाएं अपने परिवार की सुख-समृद्धि और कल्याण के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। यह व्रत अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण के साथ पूर्ण होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करने से न केवल कष्टों का निवारण होता है, बल्कि व्यक्ति के भाग्य में भी सकारात्मक परिवर्तन के योग बनते हैं।

इस वर्ष महाशिवरात्रि का व्रत 26 फरवरी, बुधवार को रखा जाएगा। पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 26 फरवरी को सुबह 11:08 बजे प्रारंभ होगी और 27 फरवरी को सुबह 8:54 बजे समाप्त होगी। चूंकि इस पर्व में रात्रि पूजन का विशेष महत्व होता है, इसलिए भगवान शिव की आराधना 26 फरवरी की रात को की जाएगी।

महाशिवरात्रि पर जलाभिषेक के शुभ मुहूर्त

महाशिवरात्रि के दिन जलाभिषेक करना अत्यंत फलदायी माना जाता है। इस वर्ष जल चढ़ाने के प्रमुख शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं:

सुबह 6:47 बजे से 9:42 बजे तक

व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें

विज्ञापन बॉक्स (विज्ञापन देने के लिए संपर्क करें)


स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे
Donate Now
               
हमारे  नए ऐप से अपने फोन पर पाएं रियल टाइम अलर्ट , और सभी खबरें डाउनलोड करें
डाउनलोड करें

जवाब जरूर दे 

क्या हिमाचल की सरकार अपने कार्यकाल के 5 साल पूरे करेगी

View Results

Loading ... Loading ...


Related Articles

Back to top button
Close
Website Design By Mytesta.com +91 8809666000