राजनी पाटिल बनीं हिमाचल कांग्रेस की प्रभारी, संगठन को मजबूत करने की चुनौती

शिमला, मदन शर्मा 15 फरवरी:

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हिमाचल प्रदेश कांग्रेस में एक बड़े बदलाव के तहत, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) ने एक बार फिर राज्यसभा सांसद राजनी पाटिल को हिमाचल कांग्रेस का नया प्रभारी नियुक्त किया है। वह राजीव शुक्ला की जगह लेंगी।

कांग्रेस के राष्ट्रीय संगठन महासचिव के.सी. वेणुगोपाल द्वारा जारी आधिकारिक पत्र के अनुसार, राजनी पाटिल को हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (HPPCC) का नया प्रभारी बनाया गया है। यह बदलाव ऐसे समय में किया गया है जब राज्य कांग्रेस की नई कार्यकारिणी का गठन किया जाना है। इसे राजनीतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि यह हिमाचल कांग्रेस के आंतरिक समीकरणों पर गहरा प्रभाव डाल सकता है।

राजीव शुक्ला पिछले पांच वर्षों से हिमाचल कांग्रेस के प्रभारी थे। उन्हें सितंबर 2020 में राजनी पाटिल की जगह यह जिम्मेदारी सौंपी गई थी। उनके कार्यकाल के दौरान, पार्टी को हिमाचल में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिनमें आंतरिक गुटबाजी और चुनावी रणनीति को लेकर उठे सवाल प्रमुख थे। पार्टी सूत्रों के अनुसार, आगामी चुनावों को ध्यान में रखते हुए संगठन को मजबूत करने के लिए यह बदलाव जरूरी माना गया।

महिला नेतृत्व को मिला बढ़ावा

गौरतलब है कि मई 2018 में कांग्रेस ने सुशील कुमार शिंदे को हटाकर हिमाचल का प्रभारी बनाया था, जिन्होंने दो साल तक संगठन को मजबूत करने का काम किया। राजनी पाटिल महाराष्ट्र से राज्यसभा सांसद हैं और कांग्रेस की एक प्रभावशाली महिला नेता के रूप में जानी जाती हैं। उनकी संगठनात्मक क्षमता और नेतृत्व कौशल को देखते हुए उन्हें यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है।

हाल ही में कांग्रेस हाईकमान ने हिमाचल कांग्रेस की कार्यकारिणी को भंग कर दिया था, जिसमें राज्य अध्यक्ष को छोड़कर सभी पदाधिकारियों को हटा दिया गया था। तभी से संगठनात्मक फेरबदल की अटकलें लगाई जा रही थीं। अब राजनी पाटिल के कंधों पर नई कार्यकारिणी के गठन की अहम जिम्मेदारी होगी।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राजनी पाटिल की नियुक्ति से हिमाचल कांग्रेस में महिला नेतृत्व को मजबूती मिली है। वर्तमान में प्रतिभा सिंह राज्य कांग्रेस अध्यक्ष हैं और अब राजनी पाटिल को प्रभारी बनाया गया है। इससे साफ है कि AICC ने पार्टी में महिला सशक्तिकरण की दिशा में कदम बढ़ाया है।

सबसे बड़ी चुनौती – गुटबाजी और संगठनात्मक संतुलन

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि राजनी पाटिल के नेतृत्व में हिमाचल कांग्रेस की चुनावी रणनीति में बदलाव देखने को मिल सकता है। हालांकि, उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती गुटबाजी को खत्म कर संगठन को मजबूत करना होगी। पिछले साल छह कांग्रेस विधायक भाजपा में शामिल हो गए थे, जिससे कांग्रेस की आंतरिक कलह साफ तौर पर उजागर हो गई थी।

विश्लेषकों का कहना है कि राजनी पाटिल के सामने सबसे महत्वपूर्ण कार्य यह सुनिश्चित करना होगा कि नई कार्यकारिणी ऐसी हो, जो सभी गुटों को साथ लेकर चले और आगामी चुनावों में पार्टी को मजबूत स्थिति में ला सके। इसके लिए उन्हें वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं से विचार-विमर्श कर संतुलित कार्यकारिणी का गठन करना होगा।

जनसंपर्क अभियान और स्थानीय मुद्दों पर जोर

राजनी पाटिल के नेतृत्व में कांग्रेस हिमाचल में जनसंपर्क अभियान तेज करने और स्थानीय मुद्दों को प्राथमिकता देने की रणनीति बना सकती है। इसके अलावा, उन्हें फैक्शनल पॉलिटिक्स से निपटने और आगामी चुनावों के लिए प्रभावी रणनीति तैयार करने की चुनौती का सामना करना होगा, ताकि पार्टी राज्य में अपनी स्थिति मजबूत कर सके।

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