टाइड फंड के फेर में फंसे सरकारी योजनाओं के 5 हजार करोड़, जानें पूरा मामला

सरकारी योजनाओं के करीब पांच हजार करोड़ रुपये टाइड और अनटाइड फंड के फेर में फंस गए हैं। वर्ष 2010 से लेकर 2023 के बीच ऐसे करीब 12,210 करोड़ रुपये 32 बैंकों में जमा हैं, जो अभी तक खर्च नहीं किए गए हैं। इसलिए इस सारी रकम को ट्रेजरी में डालने को लेकर अभी पेच फंसा हुआ है।

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हालांकि, इस पर अर्जित ब्याज को सरकार ने कोषागारों में जमा करने को कह दिया है। मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना की अध्यक्षता में राज्य सचिवालय में हुई बैठक में विभिन्न विभागों के प्रशासनिक सचिवों की ओर से इस पर फीडबैक लिया गया।

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चालू वित्त वर्ष 2025-26 में प्रदेश सरकार का राजकोषीय घाटा 10,338 करोड़ रुपये है। यानी राज्य सरकार के कोष में इतना बजट जुटाने के लिए अतिरिक्त उपाय करने होंगे।यानी इतना ही कर्ज लेना होगा, जबकि राज्य सरकार करीब 6000 से 7000 करोड़ रुपये के बीच ही ऋण ले पाएगी। यानी 3000 से 4000 करोड़ रुपये का प्रबंध करने का सरकार के पास कोई उपाय नहीं है। ऐसे में विभिन्न स्रोतों से प्रदेश सरकार के कोष में इस बजट का प्रबंध करने के उपाय किए जा रहे हैं। ऐसी योजनाएं जिनके लिए तय बजट वर्ष 2010 से लेकर 2023 तक खर्च नहीं किया गया है, उनके बारे में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में प्रशासनिक सचिवों ने अपना फीडबैक दिया। उन्होंने इसका विस्तृत ब्योरा दिया।

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किस योजना का कितना बजट ट्रेजरी के लिए लाया जा सकता है और कितना ब्याज दिया जा सकता है, इसके बारे में भी मंत्रणा हुई।

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