नहीं रहीं पद्म भूषण शारदा सिन्हा …छठ गीतों में डाली जान और छठ के दिन ही दुनिया को कहा अलविदा

पटना। बिहार कोकिला के नाम से प्रसिद्ध पद्म भूषण से सम्मानित लोक गायिका शारदा सिन्हा का 72 वर्ष की उम्र में मंगलवार रात 9:20 बजे एम्स में निधन हो गया। वह छह वर्षों से ब्लड कैंसर से पीड़ित थीं और तबीयत बिगड़ने पर 26 अक्टूबर को उन्हें एम्स में कैंसर सेंटर के मेडिकल आंकोलोजी वार्ड में भर्ती कराया गया था।

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हालत में सुधार होने पर उन्हें वार्ड में स्थानांतरित कर दिया गया था, लेकिन सोमवार देर शाम तबीयत फिर बिगड़ गई और दोबारा आइसीयू में वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया। एम्स ने बयान जारी कर कहा है कि रेफ्रेक्टरी शॉक व सेप्टिसीमिया के कारण उनका निधन हुआ। बुधवार को उनका पार्थिव शरीर विमान से पटना ले जाया जाएगा। वहीं उनका अंतिम संस्कार होगा।

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हाल ही में उनके पति का निधन हुआ था।बिहार के सुपौल जिले के हुलास में एक अक्टूबर, 1952 को जन्मी शारदा सिन्हा की ससुराल बेगूसराय जिले के सिहमा गांव में थी। उन्होंने कई हिंदी फिल्मों में भी गाने गाए, लेकिन पहचान भोजपुरी व मैथिली लोक गायिका के रूप में अधिक थी। उन्हें सांस्कृतिक राजदूत भी कहा जाता है।

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शारदा सिन्हा के गाए गीतों में अधिकांश छठ पर्व पर गाए जाने वाले गीत शामिल हैं। यह संयोग ही है कि उनका निधन भी पर्व पर ही हुआ। उनके निधन से देश भर में शोक की लहर है। सलमान खान और भाग्यश्री की प्रसिद्ध हिंदी फिल्म मैंने प्यार किया में कहे तो से सजना और नवाजउद्दीन सिद्दीकी की गैंग्स आफ वासेपुर में उन्होंने तार बिजली से पतले और इलैक्ट्रिक पिया जैसे गीतों को भी अपनी आवाजें दी थीं।

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