शिमला में सहारनपुर के सलीम का साम्राज्य-अवैध मस्जिद और बिगड़ता आबादी अनुपात*

शिमला (भारत केसरी टीवी) सौजन्य बी स के शिमला

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प्रदेश कीे राजधानी शिमला के संजौली उपनगर में मस्जिद निर्माण का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। घटना रविवार 1 सितंबर की है जब मस्जिद के अवैध निर्माण को लेकर सैंकड़ों लोग सड़कों पर उतर आए और मस्जिद के अवैध निर्माण का आरोप लगाकर इसे गिराने की मांग करने लगे। विभिन्न हिन्दू संगठनों और स्थानीय लोगों ने मस्जिद का घेराव कर दिया. यह सभी लोग यहां अवैध निर्माण को तुड़वाने की मांग को लेकर एकत्रित हुए थे. क्षेत्र के लोगों ने एकजुट होकर पहले संजौली बाजार में विरोध मार्च किया। इसके बाद सभी मस्जिद के बाहर इकट्ठे हो गए. कई देर तक मस्जिद के बाहर प्रदर्शन चलता रहा. दरअसल, अवैध निर्माण तुड़वाने के मामले ने इसलिए तूल पकड़ा, क्योंकि शुक्रवार शाम मल्याणा में हिंदू और मुसलमान समुदाय के कुछ लोगों के बीच लड़ाई हुई. आरोप है कि मुस्लिम समुदाय के एक व्यक्ति ने स्थानीय दुकानदार यशपाल सिंह को मारा और उसके सिर पर 14 टांके लगे. स्थानीय लोगों की मांग है कि आरोपी पर अटेम्प्ट टू मर्डर की धारा के तहत मामला चलना चाहिए. संजौली और इसके आसपास के इलाके के लोग यहां की बदलती डेमोग्राफी को लेकर भी चिंता जाहिर कर रहे हैं. मौके पर स्थानीय प्रशासन ने पहुंचकर लोगों को शांत करवाया. प्रशासन की ओर से उपायुक्त अनुपम कश्यप, पुलिस अधीक्षक संजीव गांधी और नगर निगम शिमला के कमिश्नर भूपेंद्र अत्री पहुंचे थे।एसपी संजीव कुमार गांधी ने कहा कि वह यहां किसी भी और सामाजिक तत्व को नहीं पनपने देंगे और कानून पूरी तत्परता के साथ अपना काम करेगा.
घटना 1990 के दशक की है जब उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से सलीम नाम का एक दर्जी रोज़गार की तलाश में शिमला आता है। शिमला के संजौली क्षेत्र में वह अपनी दर्जी की दुकान खोलता है। हिमाचल प्रदेश के लोग अपने शांत, स्नेहिल और भोले-भाले स्वभाव के लिए तो प्रसिद्ध हैं ही सलीम ने भी इसी बात का फायदा उठाया और उसकी मेहनत व काम के प्रति उसकी लगन ने जल्द ही उसे इलाके में लोकप्रिय बना दिया और लोग उसके ग्राहक बनने लगे।
*सलीम का असली रूप*
हालांकि, कुछ वर्षों के बाद सलीम ने अपना असली रंग दिखाना शुरू किया। उसने सहारनपुर और आस-पास के इलाकों से अपने परिचितों और समुदाय के लोगों को शिमला बुलाना शुरू कर दिया और उन्हें अलग-अलग कामों में लगा दिया। धीरे-धीरे वह मौलवी बन गया और आज सबसे बड़ा मौलवी बन बैठा है।
*अवैध मस्जिद का निर्माण*
सलीम ने वक्फ बोर्ड की जमीन पर एक छोटी मस्जिद का निर्माण किया, लेकिन कुछ ही समय में इस मस्जिद का विस्तार करते हुए इसे पांच मंजिला भवन में बदल दिया गया। सलीम में अवैध निर्माण की इतनी हिम्मत कहां से आई, यह भी बहुत बड़ा जांच का विषय है। बिना सरकारी तंत्र के शहर में इतना अवैध निर्माण आखिर हो कैसे गया, यह भी जांच का विषय है। फिलहाल यह अवैध निर्माण स्थानीय निवासियों के बीच चिंता का विषय बन गया है। यही वजह रही कि सभी हिंदू संगठन एकजुट होकर इस अवैध मस्जिद निर्माण के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं। हालांकि कुछ राजनीतिक दलों के नेता भी इसमें सियासी गोटियां फिट कर रहे हैं।
*स्थानीय जनसंख्या संतुलन पर प्रभाव*
संजौली क्षेत्र में वर्तमान में 5,000 से अधिक बाहरी लोग निवास कर रहे हैं, जो अवैध रूप से यहां रह रहे हैं। इस घटना ने शिमला के सामाजिक और जनसंख्या संतुलन को बुरी तरह प्रभावित किया है। अवैध मस्जिद का विस्तार और जनसंख्या में हो रहे इस बदलाव ने इलाके की हर प्रकार की संरचना को प्रभावित किया है।
स्थानीय अधिकारियों की भूमिका
स्थानीय अधिकारियों और वक्फ बोर्ड की भूमिका पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। इस अवैध निर्माण और बाहरी लोगों की बढ़ती संख्या पर कोई ठोस कार्रवाई न होने से स्थिति और बिगड़ती जा रही है।
राजधानी शिमला में अवैध मस्जिद निर्माण का मामला संजौली उपनगर तक सीमित नहीं है, बल्कि कसुम्पटी क्षेत्र में भी एक अवैध मस्जिद के निर्माण की जानकारी सामने आई है। यह जानकारी नगर निगम शिमला के पूर्व उपमहापौर राकेश कुमार शर्मा ने दी है, जिन्होंने हाल ही में संजौली में अवैध मस्जिद निर्माण के विरोध के दौरान यह खुलासा किया।
*वक्फ बोर्ड की 99 साल की लीज पर दी गई जमीन*
राकेश कुमार शर्मा ने बताया कि 50-60 के दशक में वक्फ बोर्ड ने कसुम्पटी में एक जमीन सद्दीक मोहम्मद नामक व्यक्ति को 99 वर्ष की लीज पर दी थी। यह जमीन सद्दीक मोहम्मद की पत्नी मुमताज बेगम के नाम पर थी, जो यहां अपने तीन बेटों अजीज मोहम्मद, अलीशेर और अलाउद्दीन के साथ रहती थी। अलाउद्दीन, जो एक प्रभावशाली पद पर था, ने इस जमीन पर अवैध रूप से मस्जिद का निर्माण शुरू कर दिया।
*अवैध निर्माण का विरोध और मस्जिद का उद्घाटन*
स्थानीय लोगों ने इस अवैध निर्माण का विरोध किया, लेकिन अलाउद्दीन ने जमीन पर तिरपाल लगाकर इसे मस्जिद का रूप दे दिया और धीरे-धीरे इसके निर्माण कार्य को चालू रखा। जब मस्जिद का निर्माण पूरा हो गया, तो तत्कालीन वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वक्कामुल्ला ने इस मस्जिद का उद्घाटन तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से करवाना चाहा। हालांकि, स्थानीय लोगों के विरोध के चलते वीरभद्र सिंह ने उद्घाटन करने से मना कर दिया, लेकिन इसके बावजूद मस्जिद का निर्माण हो गया।
*मस्जिद में नियमित रूप से होती है नमाज*
आज, कसुम्पटी चौक पर यह अवैध मस्जिद मौजूद है और हर शुक्रवार को विकासनगर, कसुम्पटी, पंथाघाटी और आसपास के क्षेत्रों में रह रहे मुस्लिम समुदाय के लोग यहां नमाज अता करने आते हैं। इस मस्जिद का निर्माण अवैध होने के बावजूद, प्रशासन की ओर से इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।
*संजौली के बाद कसुम्पटी का मामला भी आया सामने*
राकेश कुमार शर्मा ने संजौली में अवैध मस्जिद निर्माण के बाद अब कसुम्पटी में अवैध मस्जिद निर्माण का मामला भी शिमला के उपायुक्त और नगर निगम के समक्ष उठाया है। उन्होंने इस अवैध निर्माण की जांच की मांग की है और इसमें संलिप्त दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई का आग्रह किया है।
*प्रशासन की उदासीनता पर सवाल*
इस मामले में प्रशासन की निष्क्रियता पर भी सवाल उठ रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि शिमला जैसे शांतिपूर्ण क्षेत्र में इस तरह के अवैध निर्माण न केवल कानून व्यवस्था के लिए खतरा हैं, बल्कि यह सामाजिक सौहार्द को भी प्रभावित कर सकते हैं।
*समय पर कार्रवाई की आवश्यकता*
यदि प्रशासन ने समय रहते इन अवैध निर्माणों पर कार्रवाई नहीं की, तो यह मुद्दा और बड़ा हो सकता है। इस मामले पर प्रशासन को सख्त कदम उठाने चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह के अवैध निर्माणों पर रोक लग सके।
#vskhimachal

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