हिमाचल का सियासी पारा, गर्दिश में कांग्रेस का तारा। एक था राजा एक है रानी, देखिए बगावत की कहानी। कुर्सी का खेल, भाजपा का ऑपरेशन लोटस पास या फेल।

नई दिल्ली (शिमला) मदन शर्मा 29 फरबरी

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हिमाचल राज्यसभा के चुनाव में जीत हासिल करने के बाद राजनीति का सियासी पारा हाई वोल्टेज हो चुका है। 43 विधायकों के बहुमत वाली कांग्रेस सरकार तो हार गई लेकिन अजीब बात है कि 25 विधायकों वाली भाजपा जीत गई। सुखविंदर सिंह सुख की कुर्सी पर सीधा खतरा बरकरार हो गया। दिल्ली कांग्रेस हाई कमान के कई नेता विधायकों के साथ बातचीत लगातार कर रहे हैं उम्मीद जो अभी तक है कि आने वाले कुछ दिनों में नए सीएम चेहरे का ऐलान हो सकता है।
कांग्रेस नहीं वीरभद्र परिवार का था राज
एक समय था जब हिमाचल में कांग्रेस का नहीं वीरभद्र सिंह के परिवार का राज हुआ करता था। लेकिन आज यह कांग्रेस में सिर्फ एक गुट बन कर रह गया है। फिलहाल सुख कितने दिनों तक अपनी सत्ता को संभाल पाएंगे यह तो वक्त बता ही देगा लेकिन अभी पूरे देश की निगाहें शिमला पर बनी हुई है।
इस समय सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिरकार कांग्रेस के पास हिमाचल की सत्ता बचाने के कितने विकल्प बचे हैं।
पहला विकल्प।
कांग्रेस से नाराज हुए सभी विधायकों को मना लिया जाए तो सत्ता बच सकती है।
दूसरा विकल्प।
मुख्यमंत्री को पद से हटाया जाए तो बाकी विधायक मान सकते हैं।
तीसरा विकल्प।
भाजपा की ऑपरेशन लोटस से बचने के लिए कांग्रेस को बड़ा ही सावधानी से काम लेना होगा।



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