सेब बाहुल्य क्षेत्र को बर्बाद कर आनंद शर्मा चले कांगड़ा, किन्नू और आम की ओर : संदीपनी भारद्वाज

शिमला ब्यूरो सुभाष शर्मा 07/05/2024

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“प्रधानमंत्री मोदी द्वारा किसानों के लिए सराहनीय कदम किसान सम्मान निधि“

सेब की बर्बादी के बाद आनंद शर्मा लिखेंगे कांगड़ा और वहां उगने वाली फसलों की बर्बादी की दासतां

शिमला, देश में प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों को मजबूत करने के लिए जो संकल्प लिया उसमें किसान सम्मान निधि के माध्यम से 2019 से किसानों को सालाना 6 हजार रूपये वितरित किए। 11.29 करोड़ किसानों को इस योजना का लाभ मिला है और हिमाचल प्रदेश में लाभान्वित किसानों की संख्या 9 लाख पहुंच गई है। 2.80 लाख रूपये पुरे देश में वितरित किए गए हैं। 2023 तक 15 वीं किस्त किसानों को देश में जारी की गई। भाजपा प्रदेश प्रवक्ता संदीपनी भारद्वाज ने शिमला में पै्रस वार्ता को सम्बोधित करते हुए कहा कि यूरिया का बहुत बड़ा अभाव देश में रहता था, देश में खुद का कोई प्रोडक्शन नहीं था और भारत यूसए और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के ऊपर निर्भर रहता था, परन्तु उसमें भी जो यूरिया आयात होता था उसके बाद भी उसका मिस यूटिलाइजेशन होता था। किसानों के नाम पर आने वाला यूरिया ब्लैक मार्केटिंग होकर इन्डस्ट्री में प्रयोग होता था। फलस्वरूप वह यूरिया किसानों तक नहीं पहुंचा पाता था। इस पर कड़ा कदम उठाते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने लिक्विड नाइट्रोजन यूरिया का कॉन्सेप्ट किसानों के लिए इस देश में तैयार किया। उन्होंने कहा कि लिक्विड्स नाइट्रोजन बोटलों में बॉटलिंग के थ्रू आता था और उसका ब्लैक मार्केटिंग और मिस यूटिलाइजेशन नहीं हो सकता था। ऐसे लगभग नौ यूनिट पूरे देश में स्थापित किए और आने वाले समय में इस तरह की इंडस्ट्री का लगभग देश में 13 नए यूनिट 2025 तक स्थापित होने का संकल्प इस देश में प्रधानमंत्री मोदी ने लिया

प्रदेश प्रवक्ता संदीपनी भारद्वाज ने कहा कि उत्तम शोध जो हेरिडेटरी और पूर्वत्व खेती इस देश में होती थी पहले वो बैलों और नॉन साइंटिफिक तरीके के माध्यम से होती थी, लेकिन अब उत्तम तकनीक के माध्यम से इस देश में ऑर्गैनिक खेती हो रही हैं जिसका प्रोजेक्ट प्रधानमंत्री मोदी ने तैयार किया, उसके तहत 7.5 लाख हैक्टर भूमि को ऑर्गैनिक तरीके से कल्टीवेट करने की संकल्प योजना बनाई गई। इस योजना के अतंर्गत किसानों के क्लस्टर बनाने की योजना बनी, जिसमें 50-50 हेक्टेयर का क्लस्टर तैयार होगा और उसके लिए 1584 हजार करोड़़ का बजट तैयार किया।उन्हांने कहा कि इन सब के बाद जब किसान के प्रोडेक्ट को मार्केट में किस तरह की बिकवाली होगी, इसके लिए कार्य योजना तैयार की गई जिसके लिए ई-मंडी योजना तैयार की गई। उन्हांने कहा कि 2016 में यही मंडी का कार्यक्रम शुरू हुआ था और 1.76 करोड़ किसान इन ई मंडी के माध्यम से हमने इस पोर्टल में रजिस्टर्ड किया और 23 राज्यों में और चार केंद्र-शासित प्रदेशों में इस तरह की 1390 मंडियां ई-पोर्टल और ई-नाम से तैयार की गई। 2.5 लाख आढ़ती पोर्टल से इन मण्डियों के साथ जुड़ गए और उनको रजिस्टर करके किसानों 3 लाख करोड़ का बिज़नेस इन मंडियों के माध्यम से होगा।

उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी हमेशा किसानों के हित की बात करती है। पिछली जयराम ठाकुर सरकार के समय एमआईएस में सेब खरीदा गया और एचपीएमसी और हिमफेड को गया तो किसानों का एमआईएस का पैसा पूरा देकर गए। परन्तु आज प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने 80 करोड़ रूपये किसानों का नहीं दिया हैं, लेकिन जयराम सरकार के समय पूरे प्रदेश में मार्केट बनाने का काम विस्तृत स्तर पर हुआ। रोहड़ू, शिलारू, सैंज, पराला, खड़ापत्थर कुल्लू और बजौरा की सभी मंडियां भारतीय जनता पार्टी की सरकार में तैयार हुई और उसके बाद भी पूरा डेढ़ साल इस सरकार का बीत गया परन्तु एक भी मंडी का शिलान्यास या उद्घाटन यह सरकार नहीं कर पाई। जो मंडियां बन रही थी उन मंडियो की इम्प्लिमेंटेशन भी पूरी नहीं कर पाए साथ ही बचे खुचे पैसे नेशनल हॉर्टिकल्चर मिशन के तहत उन मंडियो को समर्थन करने के लिए जो किसी वजह से लगभग 10 करोड़ रूपये बचा था उस पैसे से विदेश टुर की योजना बना डाली। भारतीय जनता पार्टी के विरोध बाद इनका टूर प्रोग्राम रद्द हुआ, नहीं तो वो पैसा भी विदेश दौरे पर खर्च किया जा रहा था। जयराम ठाकुर ने पराला में न्यू प्रोसेसिंग प्लांट लगाया, उसको ऑपरेशनल किया। परमाणु में सेब प्रोसेसेस करने के बाद पल्प को नाले में फेंका जाता था, उसकी ऑर्गैनिक खाद बनाने के लिए भी प्रयास किए गए, परन्तु जयराम ठाकुर ने दो कदम आगे चल करके योजना बनाई, जो बचा हुए पल्प से पैक्टिन जो जैम और जैली को कॉन्ट्रैक्ट करने के लिए यूज़ होता है, देश का 90 प्रतिशत पैक्टिन चाइना से इम्पोर्ट होता हैं और पराला में ना केवल प्रोसेसिंग प्लांट लगा वहाँ पर पैक्टिन का यूनिट स्थापित किया गया साथ ही सीए प्लांट भी लगाया गया। उन्हांने कहा कि कांग्रेस सरकार ने किसानों की ऐन्टी हेलनेट की सब्सिडी भी खत्म कर दी। जिसके कारण किसानों का सेब बरसात के कारण खराब व बेकार हो जाता है और उसको उसका रिटर्न नहीं मिलता।

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