सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल में सेब के पेड़ों की कटाई पर लगाई रोक, हाईकोर्ट के आदेश पर अंतरिम राहत

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नई दिल्ली/शिमला। भारत केसरी टीवी

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हिमाचल प्रदेश में सेब उत्पादकों को बड़ी राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने वन भूमि से अतिक्रमण हटाने के नाम पर सेब के पेड़ों की कटाई पर फिलहाल रोक लगा दी है। यह रोक हाईकोर्ट के उस आदेश पर लगाई गई है, जिसमें वन विभाग को अतिक्रमित क्षेत्रों से सेब के बाग हटाने और वहां वन प्रजातियों के पौधे लगाने के निर्देश दिए गए थे।

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यह अंतरिम आदेश सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच — मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई, न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति एन. वी. अंजारिया — ने सुनवाई के दौरान दिया। यह याचिका शिमला के पूर्व डिप्टी मेयर टिकेंद्र सिंह पंवार और वकील-कार्यकर्ता राजीव राय द्वारा दायर की गई थी।

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हाईकोर्ट के आदेश को बताया मनमाना और संविधानविरोधी

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पंवार की ओर से पेश अधिवक्ता पी. वी. दिनेश और सुभाष चंद्रन के. आर. ने कोर्ट को बताया कि हाईकोर्ट का आदेश पूरी तरह त्रुटिपूर्ण है और इससे लाखों सेब उत्पादकों को गंभीर आर्थिक और पर्यावरणीय नुकसान हो सकता है, विशेषकर मानसून के समय।

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याचिका में कहा गया है कि सेब की खेती हिमाचल की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, और इस आदेश से न केवल किसानों की आजीविका खतरे में पड़ी है, बल्कि इससे पर्यावरण को भी नुकसान पहुंच सकता है। मानसून के मौसम में पेड़ों की बड़े पैमाने पर कटाई से भूस्खलन और मिट्टी के कटाव की आशंका भी बढ़ जाती है।

3,800 पेड़ पहले ही काटे जा चुके, 50 हजार की और योजना

टिकेंद्र पंवार ने सुप्रीम कोर्ट को अवगत कराया कि 18 जुलाई तक कोटखाई, कुमारसैन, वैषाला, कोटगढ़ और रोहड़ू जैसे क्षेत्रों में 3,800 से अधिक सेब के पेड़ काटे जा चुके हैं। वहीं, पूरे प्रदेश में करीब 50,000 पेड़ों को हटाने की योजना बनाई जा रही है।

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में न सिर्फ अतिक्रमण हटाने को कहा था, बल्कि अतिक्रमणकारियों से राजस्व के रूप में लागत वसूलने का भी निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट में लंबित इस याचिका पर आगे की सुनवाई जल्द तय होगी। तब तक, राज्य सरकार को सेब के पेड़ों की कटाई से रोक दिया गया है।

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