संपादकीय: पृथ्वी दिवस पर शिक्षा और संस्कार का सुंदर संगम

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संपादकीय विभाग, भारत केसरी टीवी

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गुरुकुल इंटरनेशनल सीनियर सेकेंडरी स्कूल, सोलन में आयोजित विश्व पृथ्वी दिवस का कार्यक्रम सिर्फ एक औपचारिक आयोजन नहीं था, बल्कि यह एक गहरी सोच, जिम्मेदारी और प्रतिबद्धता का प्रतीक था। जब विद्यालय के छात्र रैली में शामिल होते हैं, जब वे रंगमंच के माध्यम से संदेश देते हैं, जब एन.सी.सी. कैडेट्स पौधों की सेवा में लगते हैं—तो यह शिक्षा का वह स्वरूप सामने आता है, जिसकी आज के समय में सबसे अधिक आवश्यकता है।


आज जब पूरी दुनिया जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और पारिस्थितिकी असंतुलन की चुनौतियों से जूझ रही है, ऐसे में शिक्षा संस्थानों का यह दायित्व बनता है कि वे छात्रों में न केवल जानकारी, बल्कि चेतना भी भरें। गुरुकुल स्कूल ने यह साबित किया है कि पाठ्यक्रम की सीमाओं से परे जाकर भी बच्चों में एक जिम्मेदार नागरिक और संवेदनशील इंसान तैयार किया जा सकता है।

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इस आयोजन में छात्रों ने नाटक, पोस्टर, रैली, और क्विज़ जैसी गतिविधियों के माध्यम से न केवल अपने विचार प्रस्तुत किए, बल्कि दूसरों को भी सोचने पर मजबूर कर दिया कि पृथ्वी दिवस केवल एक दिन का उत्सव नहीं, बल्कि रोज़ की जिम्मेदारी है।

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प्रधानाचार्या डॉ. लखविंदर कौर का यह कहना कि “प्रकृति की सेवा सबसे बड़ी सेवा है,” आज के संदर्भ में अत्यंत प्रासंगिक और प्रेरणास्पद है।

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शिक्षा यदि समाज और प्रकृति के साथ सामंजस्य नहीं सिखाती, तो वह अधूरी है। गुरुकुल इंटरनेशनल स्कूल ने इस अधूरेपन को पूरा करने की दिशा में एक प्रेरक मिसाल कायम की है।

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