विकसित कृषि संकल्प अभियान के तहत नौणी विश्वविद्यालय, कृषि विज्ञान केंद्रों ने शुरू किया आउटरीच कार्यक्रम

डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी ने अपने पांच कृषि विज्ञान केंद्रों (के.वी.के.) और अनुसंधान स्टेशनों के साथ मिलकर भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के तहत व्यापक किसान आउटरीच पहल शुरू की है।

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एक पखवाड़े तक चलने वाले इस कार्यक्रम के तहत, विश्वविद्यालय ने सोलन, शिमला, चंबा, किन्नौर और ताबो में स्थित अपने कृषि विज्ञान केंद्रों और मशोबरा एवं शारबो में क्षेत्रीय बागवानी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण स्टेशन के विशेषज्ञों की 12 टीमों को संगठित किया है। ये टीमें हिमाचल प्रदेश के विभिन्न जिलों के विभिन्न गांवों का दौरा करेंगी और किसानों से सीधे संपर्क करेंगी ताकि उन्हें तकनीकी सहायता और मार्गदर्शन प्रदान किया जा सके।

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आउटरीच टीमों में कृषि, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन और आत्मा जैसे सम्बद्ध विभागों के विशेषज्ञ भी शामिल हैं। कार्यक्रम में प्रगतिशील किसान और स्थानीय एफपीओ के प्रतिनिधि भी भाग लेंगे। इस पहल का उद्देश्य किसानों को आधुनिक कृषि ज्ञान से लैस करके, उच्च गुणवत्ता वाले बीजों के उपयोग को बढ़ावा देकर और विभिन्न केंद्रीय कृषि योजनाओं के बारे में जागरूकता पैदा करके आगामी फसल सीजन के लिए तैयार करना है। अभियान का उद्देश्य किसानों के घर तक सीधे कृषि सेवाएं और सलाह पहुंचाना भी है।

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विश्वविद्यालय के मुख्य परिसर में कुलपति प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल ने नौणी, शमरोड़ और कोटला पंजोला के किसानों के एक समूह को संबोधित किया। अपने संबोधन में प्रो. चंदेल ने किसानों को विश्वविद्यालय और इसके अनुसंधान केंद्रों को अपना दूसरा घर मानने और इन संस्थानों से प्राप्त वैज्ञानिक ज्ञान को अपने खेतों में लागू करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने सेहतमंद और विविध आहार अपनाने पर जोर दिया और सेहत को बेहतर बनाने के लिए श्रीअन्न भी शामिल करना जरूरी है। उन्होंने रसायन मुक्त, पर्यावरण की दृष्टि से टिकाऊ प्राकृतिक खेती के तौर-तरीकों की ओर बदलाव की वकालत की। फ्लॉरिकल्चर अनुसंधान निदेशालय पुणे के निदेशक डॉ. के.वी. प्रसाद, अनुसंधान निदेशक डॉ. संजीव चौहान और फ्लोरिकल्चर विभाग के विभागअध्यक्ष डॉ. एस आर धीमान के साथ विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने भी किसानों को संबोधित किया। उन्होंने फ्लोरिकल्चर में अवसरों और कैसे किसान फसल विविधीकरण के माध्यम से अपनी आय बढ़ा सकते हैं पर किसानों को संबोधित किया।

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गुरुवार को केवीके सोलन की तीन टीमों ने चायल के आसपास तुंडल, झझर और बडून गांवों का दौरा किया, जबकि एक अन्य टीम ने कुनिहार ब्लॉक के गांव को कवर किया गया। तीसरी टीम ने मान और लहराच गांवों का दौरा किया। शिमला जिले में केवीके शिमला और मशोबरा स्टेशन की टीमों ने चौपाल ब्लॉक में किसानों के खेतों का दौरा किया,और केडी, रुसला और लालपानी के किसानों से बातचीत की। एक अन्य टीम ने कुपवी, धार चांदना और डाक गांवों का दौरा किया, जबकि मशोबरा की टीम ने नारकंडा ब्लॉक का दौरा किया, जिसमें डीब, कुमारसैन और लाठी शामिल थे। केवीके चंबा ने भी तीन टीमों को किसानों को फील्ड में उतारा, जिन्होंने चंबा ब्लॉक के दुल्ला, फौलगट और सरोल गांवों का दौरा किया, अन्य दो टीमों ने सलूणी और भरमौर ब्लॉकों के गांवों को कवर किया। ताबो में केवीके लाहौल और स्पीति II ने भी अभियान में सक्रिय रूप से भाग लिया। एक टीम ने कोमिक और हिक्किम गांवों का दौरा किया, जबकि दूसरी टीम ने लांगजा में किसानों के लिए प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया।

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इन सभी क्षेत्रों में, आउटरीच टीमों ने किसानों के साथ उनकी फसल से संबंधित समस्याओं के समाधान के लिए संवादात्मक सत्र आयोजित किए और कीट नियंत्रण तथा उत्पादकता बढ़ाने के उद्देश्य से आधुनिक वैज्ञानिक पद्धतियों को साझा किया। किसानों को सलाह दी गई कि वे केवल विश्वविद्यालय और संबंधित विभागों द्वारा सुझाई गई वैज्ञानिक पद्धतियों का ही पालन करें। अगले दो सप्ताहों में, ये टीमें कृषि योजनाओं के बारे में जागरूकता पैदा करने और टिकाऊ और लाभदायक खेती पद्धतियों को बढ़ावा देने के लिए और अधिक गांवों का दौरा करेगी।

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