Sirmaur: पांवटा साहिब सिविल अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाएं रामभरोसे, परिजन बोले-बीमार बच्चों का इलाज करवाने कहां जाएं?

व्यवस्था परिवर्तन का दम भरने वाली कांग्रेस सरकार के राज में 3 राज्यों की सीमाओं के साथ सटे पांवटा साहिब सिविल अस्पताल में बच्चों के स्वास्थ्य का कोई रखवाला नहीं है। लिहाजा यहां स्वास्थ्य सुविधाएं रामभरोसे चल रही हैं। इसके चलते जनता में सरकार के साथ-साथ स्वास्थ्य विभाग के प्रति भी रोष है।
अस्पताल में 8 महीनों से नहीं शिशु रोग विशेषज्ञ
दरअसल यहां 150 बिस्तर वाले सिविल अस्पताल पांवटा साहिब में 8 महीनों से बच्चों का डॉक्टर (शिशु रोग विशेषज्ञ) न होने से बीमार बच्चों को लेकर परिजनों को भटकने को मजबूर होना पड़ रहा है। बावजूद इसके अब तक कुछ नहीं बना। बता दें कि पांवटा साहिब तीन राज्यों के साथ सटा हुआ है। इसमें से 2 किलोमीटर की सीमा उत्तर प्रदेश को भी छूती है। स्थानीय सिविल अस्पताल में शिलाई, श्री रेणुका जी, नाहन व पांवटा साहिब विधानसभा क्षेत्रों के अलावा पड़ोसी राज्य उत्तराखंड और हरियाणा के लोग भी अपना उपचार करवाने पहुंचते हैं। इसके अलावा पांवटा साहिब औद्योगिक क्षेत्र भी है। लिहाजा यह अस्पताल लोगों के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता है।

अस्पताल में प्रतिदिन 700 से अधिक ओपीडी
अस्पताल में प्रतिदिन 700 से अधिक की ओपीडी रहती है, जिसमें से 100 से अधिक बच्चों की ओपीडी होती है। इतना महत्वपूर्ण अस्पताल होने के बावजूद भी 8 महीनों से यह अस्पताल बच्चों के डाक्टर के बिना चल रहा है। उधर हैरानी की बात यह भी है कि 8 महीने से इतने बड़े अस्पताल में सरकार व स्वास्थ्य विभाग ने बच्चों के डॉक्टर को डैपुटेशन पर भी नहीं भेजा है। ऐसे में प्रतिदिन अस्पताल में परिजन छोटे-छोटे बच्चों को गोद में उठाकर इधर-उधर भटकते देखे जा सकते हैं।

गरीब लोगों को भुगतना पड़ रहा खमियाजा
बताया जा रहा है कि पांवटा साहिब में शिशु विशेषज्ञ डा. अभिताभ जैन की 8 महीने पहले पदोन्नति हुई थी। इसके बाद वह यहां से मैडीकल कॉलेज नाहन चले गए। इसके बाद से ही यहां उनके स्थान पर अन्य किसी भी डाक्टर की तैनाती नहीं हो पाई है। इस कारण परिजनों को अपने छोटे बच्चों को लेकर या तो निजी अस्पतालों में जाना पड़ता है या फिर 50 किलोमीटर दूर मेडिकल कॉलेज नाहन। सरकार, प्रशासन और संबंधित विभाग का इस गंभीर समस्या पर कोई ध्यान नहीं है। लिहाजा इसका खमियाजा क्षेत्र के गरीब लोगों को भुगतना पड़ रहा है।

आखिर जाएं तो जाएं कहां
माजरा निवासी तेज सिंह, शिलाई की सुमन, सीमा देवी, कृष्णा देवी, पूनम आदि ने बताया कि सिविल अस्पताल पांवटा साहिब में प्रतिदिन 100 से अधिक बच्चों को उपचार के लिए लाया जाता है लेकिन डॉक्टर न होने के कारण बच्चों को लेकर इधर-उधर भटकना पड़ता है। एक परिजन ने बताया कि रोहनाट से पांवटा साहिब की दूरी 100 किलोमीटर से अधिक है लेकिन इतनी दूर से पांवटा साहिब आना पड़ता है और फिर भी यहां डॉक्टर नहीं मिलता, ऐसे में अपने बच्चों का इलाज करवाने के लिए वे कहां जाएं? सरकार जल्द से जल्द यहां डाॅक्टर की तैनाती करे।
मजबूरन सड़कों पर उतरना पड़ेगा : विधायक
स्थानीय विधायक सुखराम चौधरी ने कहा कि सिविल अस्पताल में 8 महीने से बच्चों का डॉक्टर न होना सरकार की नाकामी को दर्शाता है। अगर समय रहते सरकार ने डॉक्टर की तैनाती नहीं की तो मजबूरन क्षेत्र के लोगों के साथ सड़कों पर उतरना पड़ेगा।
उच्चाधिकारियों को भेजी रिपोर्ट : सीएमओ
सीएमओ सिरमौर डाॅ. अजय पाठक ने बताया कि सिविल अस्पताल में खाली चल रहे डाॅक्टरों के पदों को लेकर उच्चाधिकारियों के साथ-साथ सरकार को भी रिपोर्ट भेजी जा चुकी है। जैसे ही विभाग से डॉक्टर भेजेंगे, तुरंत सिविल अस्पताल में शिशु रोग विशेषज्ञ की तैनाती कर दी जाएगी।