मोबाइल चार्जर से हो रही भारी बिजली बर्बादी: ऊर्जा विभाग का खुलासा

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नई दिल्ली भारत केसरी टीवी

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ऊर्जा विभाग के एक हालिया अंदरूनी अध्ययन में बड़ा खुलासा हुआ है कि मोबाइल फोन चार्जर देशभर में बिजली की बर्बादी का एक प्रमुख कारण बनते जा रहे हैं।

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रिपोर्ट के अनुसार, हर दूसरा उपभोक्ता चार्जिंग के बाद भी चार्जर को सॉकेट में प्लग इन ही छोड़ देता है, जिससे सालाना लगभग 22 करोड़ यूनिट बिजली बेकार हो जाती है।

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👉 इतनी बिजली से 22 लाख बल्ब 100 घंटे तक जल सकते हैं।
👉 इस बर्बादी की आर्थिक कीमत करीब ₹150 से ₹220 करोड़ सालाना बैठती है।

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🔋 चार्जर की एफिशिएंसी भी बड़ा कारण

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रिपोर्ट के अनुसार, भारत में इस्तेमाल हो रहे मोबाइल चार्जर की एफिशिएंसी 50% से लेकर 90% तक है।

अगर एक चार्जर 100 वॉट ले रहा है, लेकिन सिर्फ 85 वॉट मोबाइल तक पहुंचा रहा है, तो उसकी एफिशिएंसी 85% मानी जाती है।

85-95% एफिशिएंसी वाले चार्जर को बेहतर माना जाता है, लेकिन देश में अब भी कई कम एफिशिएंसी वाले चार्जर उपयोग में हैं।

📱 210 करोड़ यूनिट सालाना खपत

भारत के लगभग 60 करोड़ मोबाइल उपभोक्ता साल भर में औसतन 210 करोड़ यूनिट बिजली केवल मोबाइल चार्जिंग में खर्च करते हैं।

📢 विशेषज्ञों की सलाह:

फोन चार्ज होने के बाद चार्जर को सॉकेट से निकाल दें।

सर्टिफाइड और हाई एफिशिएंसी वाले चार्जर का ही उपयोग करें।

स्मार्ट प्लग और टाइमर का इस्तेमाल कर बिजली की बर्बादी रोकें।

#बिजली_बचाओ #ऊर्जा_संकट #मोबाइलचार्जर #EnergyEfficiency

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