भारत की चुनावी प्रक्रियाओं को प्रभावित करने के लिए आर्थिक सहायता प्राप्त करने वाली शक्तियां कौन सी ? : टंडन

मंडी, भाजपा प्रदेश सह प्रभारी संजय टंडन ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का मंडी आगमन पर हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन किया।
इस दौरान संजय टंडन ने कहा कि कांग्रेस के ओवरसीज नेता सैम पित्रोदा के कई बयान निंदनीय और भर्त्सनीय है। कांग्रेस नेताओं द्वारा लगातार दिया गए वक्तव्य भारत विरोधी, भारतीय सेना विरोधी और भारतीय सैनिकों के बलिदान का घोर अपमान है। सैम पित्रोदा का बयान कांग्रेस नेताओं के चीन प्रेम की एक कड़ी मात्र है। भारत में एक दौर वह भी था, जब भारतीय सरकार ने चीनी सैनिकों को चावल दिए थे। 21 जून 1952 को जब तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से प्रेसवार्ता में सवाल पूछा गया कि क्या चीनी सैनिकों को राशन दिया गया है, तो उन्होंने स्वीकार किया कि हां, कुछ राशन दिया गया था। यह मात्र कुछ किलो नहीं, बल्कि हजारों टन राशन था, जिसे यह कहकर दिया गया कि चीनी सैनिकों को उसकी जरूरत थी और यह उन्हें जिंदा रहने के लिए दिया जा रहा है। जबकि उस समय तिब्बत में स्थिति भयावह थी। नेहरू जी ने चीनी सैनिकों को राशन इसलिए दिया क्योंकि चीन का सबसे निकटतम शहर 2,000 किलोमीटर दूर था, जबकि भारत का तवांग मात्र 250 से 300 किलोमीटर की दूरी पर था और वहां की सड़कें भी बेहतर थीं। कांग्रेस पार्टी ने स्पष्ट रूप से दिखा दिया है कि वह चीन के साथ अपने पुराने समझौतों, राजीव गांधी फाउंडेशन को चीनी एंबेसी से मिले लोन और फंड के दबाव में बात कर रही है। ऐसे बयान देने के लिए सैम पित्रोदा को सफाई देनी चाहिए।

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टंडन ने कहा कि एक और भारत विरोधी तथ्य सामने आया है, जो भारत के चुनावी व्यवस्था में विदेशी फंडिंग से संबंधित है। कांग्रेस के समुद्रपारी नेता के बाद समुद्र पार से अन्य प्रकार के संकेत मिल रहे हैं, जो यह दर्शाते हैं कि कैसे भारत के अंदर और बाहर बैठे देश विरोधी लोग मिलकर भारत के लिए षडयंत्र रच रहे हैं। इंटरनेशनल फाउंडेशन फॉर इलेक्टोरल सिस्टम्स नामक संस्था ने 2011 में भारत की एक संस्था, इंडिया इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ इलेक्शन मैनेजमेंट, जो चुनाव आयोग से संबंधित है, के साथ करार किया था। इसके माध्यम से जो वित्त पोषण आ रहा है, वह कंसॉर्शियम फॉर इलेक्शन पोलिटिकल प्रोसेस स्ट्रेंथनिंग सिस्टम के जरिए हो रहा है, जो जॉर्ज सोरोस की ओपन सोसाइटी फाउंडेशन से संबंधित है। इसने भारत में हाफ बिलियन डॉलर यूएस-ऐड के माध्यम से निवेश किए, और हर साल 3 से 3.5 लाख डॉलर भारत में आते रहे। हाल ही में हुए अमेरिकी चुनाव में विदेश से भारत के चुनावी संस्थाओं की तारीफ की गई थी और भारतीय वोटर आईडी सिस्टम की जरूरत अमेरिका में महसूस की जा रही थी। भाजपा यह सवाल करती है कि, भारत की चुनावी प्रक्रियाओं को प्रभावित करने और चुनावों में समस्या उत्पन्न करने के लिए आर्थिक सहायता प्राप्त करने वाली शक्तियां कौन सी हैं? यह स्पष्ट है कि सोरोस, अंकल सैम और कांग्रेस पार्टी की धुन एक ही सुर में गूंज रही है।

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