भारतीय मोबाइल नंबरिंग प्रणाली में बड़ा बदलाव: TRAI की नई सिफारिशें


भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (TRAI) ने मोबाइल नंबरिंग सिस्टम में बड़े बदलाव का प्रस्ताव पेश किया है, जिससे देश के कई क्षेत्रों में फोन नंबरों की संरचना में परिवर्तन देखने को मिलेगा। नई सिफारिशों का उद्देश्य दूरसंचार संसाधनों का बेहतर प्रबंधन और उपयोग सुनिश्चित करना है।
मुख्य बदलाव:
1. फिक्स्ड-लाइन नंबरिंग में सुधार:
वर्तमान में लागू 10-अंकीय फिक्स्ड-लाइन नंबरिंग प्रणाली को संशोधित किया जाएगा।
SDCA (शॉर्ट डिस्टेंस चार्जिंग एरिया) मॉडल को हटाकर LSA (लाइसेंस सर्विस एरिया) आधारित प्रणाली अपनाई जाएगी, जिससे नंबरिंग संसाधनों की उपलब्धता बढ़ेगी।
2. डायलिंग पैटर्न में बदलाव:
सभी फिक्स्ड-लाइन से होने वाली कॉल्स के लिए “0” उपसर्ग जोड़ना अनिवार्य होगा।
मोबाइल से मोबाइल, मोबाइल से फिक्स्ड और फिक्स्ड से मोबाइल कॉलिंग पैटर्न में कोई बदलाव नहीं होगा।
इस बदलाव को लागू करने के लिए टेलीकॉम ऑपरेटरों को छह महीने का समय दिया जाएगा।
3. स्पैम कॉल्स पर रोकथाम के लिए CNAP:
कॉलिंग नेम प्रेजेंटेशन (CNAP) प्रणाली लागू की जाएगी, जिससे उपयोगकर्ता अज्ञात कॉल्स की पहचान कर सकेंगे।
इसका उद्देश्य स्पैम कॉल्स, साइबर धोखाधड़ी और वित्तीय घोटालों को कम करना है।
4. निष्क्रिय नंबरों के लिए नए नियम:
किसी मोबाइल नंबर को 90 दिनों तक निष्क्रिय नहीं किया जाएगा।
365 दिनों तक उपयोग न होने पर टेलीकॉम कंपनियों को नंबर निष्क्रिय कर देना होगा, जिससे इन्हें अन्य उपयोगकर्ताओं को पुनः आवंटित किया जा सके।
5. M2M कनेक्शनों के लिए 13-अंकीय नंबर:
मशीन-टू-मशीन (M2M) और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) कनेक्शनों के लिए 10-अंकीय नंबरों को 13 अंकों में बदला जाएगा।
इससे बढ़ती संख्या और सीमित नंबरिंग संसाधनों की समस्या का समाधान होगा।
6. शॉर्टकोड आवंटन के लिए सख्त नियम:
लेवल-1 शॉर्टकोड केवल सरकारी संस्थाओं के लिए आरक्षित रहेगा।
इनके उपयोग की नियमित ऑडिटिंग की जाएगी।
निष्कर्ष:
TRAI की इन सिफारिशों से भारत के दूरसंचार नेटवर्क को अधिक कुशल और सुरक्षित बनाया जाएगा। इससे टेलीकॉम सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार होगा, उपभोक्ताओं को अधिक पारदर्शिता मिलेगी, और नंबरिंग संसाधनों का अनुकूलन होगा।