सेब क्रांति के जनक हरिमन शर्मा को पद्मश्री सम्मान: हिमाचल का बढ़ा गौरव

शिमला। हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले की घुमारवीं तहसील के गलांसी गांव के रहने वाले हरिमन शर्मा को गणतंत्र दिवस पर पद्मश्री सम्मान के लिए चुना गया है। यह उपलब्धि न केवल बिलासपुर बल्कि पूरे हिमाचल प्रदेश के लिए गर्व की बात है। हरिमन शर्मा को गर्म जलवायु में सेब उगाने की तकनीक विकसित करने और सेब उत्पादन में क्रांति लाने के लिए यह सम्मान दिया जा रहा है।

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हरिमन शर्मा ने कम ठंडे क्षेत्रों में उगने वाली सेब की खास किस्म ‘एचआरएमएन-99’ विकसित की है। यह किस्म समुद्र तल से महज 1800 फीट की ऊंचाई पर भी सफलतापूर्वक उगाई जा सकती है। आमतौर पर जहां सेब जुलाई से सितंबर के बीच तैयार होते हैं, वहीं हरिमन शर्मा की यह किस्म जून में ही पककर तैयार हो जाती है। यह नवाचार हिमाचल प्रदेश के गर्म इलाकों के लिए वरदान साबित हुआ है।

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हरिमन शर्मा का यह सफर 7 जुलाई 2007 को शुरू हुआ, जब वे 10 किलो सेब और 5 किलो आम लेकर तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल से मिले। उन्होंने बताया कि ये फल उन्होंने बिलासपुर के गर्म क्षेत्र में उगाए हैं। इसके बाद मुख्यमंत्री ने उनके बगीचे का निरीक्षण करवाया और 15 अगस्त 2008 को उन्हें ‘प्रेरणास्रोत सम्मान’ से सम्मानित किया।

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हरिमन शर्मा द्वारा विकसित सेब की यह प्रजाति न केवल भारत बल्कि नेपाल, बांग्लादेश, जाम्बिया और जर्मनी जैसे देशों में भी लोकप्रिय हो चुकी है। अब तक 14 लाख से अधिक पौधे देश-विदेश के बागबानों द्वारा लगाए जा चुके हैं। इसके अलावा हरिमन ने 1.9 लाख से अधिक पौधे 6000 से ज्यादा लोगों को वितरित किए हैं। सेब के अलावा, वे अपने बगीचे में आम, कीवी और अनार भी उगाते हैं।

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4 अप्रैल 1956 को गलांसी गांव में जन्मे हरिमन शर्मा का बचपन संघर्षों से भरा रहा। तीन दिन की उम्र में ही उनकी मां का निधन हो गया, जिसके बाद उन्हें पनियाला गांव के रिडकु राम ने गोद लिया। उन्होंने 10वीं कक्षा तक पढ़ाई की और मेहनत और नवाचार के बल पर अपनी पहचान बनाई।

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हरिमन शर्मा ने पद्मश्री सम्मान पर कहा कि यह उनके लिए प्रोत्साहन है और वे इसे और बेहतर काम करने की प्रेरणा के रूप में लेंगे। वर्तमान में वे एवोकाडो की खेती पर काम कर रहे हैं, जो कि एक महंगा और उच्च गुणवत्ता वाला फल है। उनका मानना है कि इससे किसानों की आय में और वृद्धि हो सकती है।

हरिमन शर्मा को पद्मश्री सम्मान मिलने से हिमाचल प्रदेश का नाम एक बार फिर ऊंचा हुआ है। उनका जीवन प्रेरणा का स्रोत है और यह दिखाता है कि मेहनत और लगन से कुछ भी संभव है।

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