पर्यटन व मछली आखेट के शौकीनों के लिए बरोट बना पसंदीदा स्थल, ऊहल व लम्बाडग नदियों में डाले गए 35 हजार ट्राऊट बीज

ट्राऊट मछली उत्पादन में अलग पहचान बना रहा मंडी जिला का बरोट क्षेत्र, मत्स्य आखेट के शौकीनों के लिए पसंदीदा स्थल के रूप में उभरा

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· बाहरी राज्यों को मछली निर्यात से ट्राऊट किसानों की आर्थिकी हो रही सुदढ़

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· जिला में ट्राऊट रेसवेस के निर्माण के लिए एक करोड़ 80 लाख रुपए की अनुदान सहायता प्रदान

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हिमाचल की सदानीरा नदियां हमारी जलापूर्ति का मुख्य साधन हैं। इनके जल से विद्युत उत्पादन कर प्रदेश ऊर्जा के क्षेत्र में भी आत्मनिर्भर बना है। इन नदियों में मत्स्य पालन के माध्यम से लोगों को स्वरोजगार से जोड़ने की दिशा में प्रदेश सरकार कई सार्थक कदम उठा रही है। मंडी जिला में ट्राऊट मछली उत्पादन को बढ़ावा देना सरकार के इन्हीं प्रयासों को इंगित करता है।

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मंडी जिला का बरोट क्षेत्र ट्राऊट मछली उत्पादन में तेजी से उभर रहा है। ठंडी जलवायु के कारण यहां से बहने वाली ऊहल एवं इसकी सहायक नदी लम्बाडग ट्राऊट मछली उत्पादन के लिए आदर्श मानी गई हैं। मत्स्य पालन विभाग के माध्यम से प्रदेश सरकार इस क्षेत्र में ब्राऊन व रेनबो ट्राऊट फार्मिंग को बढ़ावा दे रही है। हाल ही में इन दोनों नदियों में 35 हजार मत्स्य बीज डाला गया, जिसमें 25 हजार ब्राऊन ट्राऊट और 10 हजार रेनबो ट्राऊट बीज शामिल है। खास बात यह कि यह बीज राजकीय ट्राऊट फार्म बरोट में ही उत्पादित किया गया है।

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सरकार के इन प्रयासों से स्थानीय युवाओं सहित पर्यटन व्यवसायियों को भी लाभ मिलेगा। बरोट की नैसर्गिक सौंदर्य से भरपूर वादियों का आनंद लेने बड़ी संख्या में सैलानी यहां पहुंचते हैं। इनमें से अधिकांश मत्स्य आखेट के शौकीन भी होते हैं। ऐसे पर्यटकों को लुभाने के लिए यहां मत्स्य आखेट स्थल भी चिह्नित किए गए हैं। इसके अतिरिक्त होटल व्यावसायियों व स्थानीय स्तर पर ट्राऊट की काफी मांग रहती है।

मत्स्य पालन से जुड़े किसानों को प्रशिक्षण व अन्य सुविधाएं उपलब्ध करवाने पर भी प्रदेश सरकार विशेष ध्यान केंद्रित कर रही है। जिला में ट्राऊट रेसवेस का निर्माण करने के लिए 33 किसानों को एक करोड़ 80 लाख रुपए की अनुदान सहायता प्रदान की गई है। शीतजल मात्स्यिकी अनुसंधान निदेशालय, भीमताल से अनुसूचित जाति उप-योजना (एससीएसपी) के तहत 3.02 लाख रुपए प्राप्त हुए हैं। यह राशि ट्राऊट मत्स्य फार्म बरोट के तहत मत्स्य किसानों के प्रशिक्षण पर व्यय की गई। इसके तहत 25 किसानों को 10 हजार रुपए प्रति किसान की दर से अनुदान सामग्री भी वितरित की गई। हाल ही में जिले के दो ट्राऊट प्रगतिशील मत्स्य किसानों की निजी हैचरियों से रैन्बो ट्राऊट आइड ओवा उत्तराखंड राज्य को निर्यात किए गए हैं। इससे उनकी आर्थिकी मजबूत हुई है।

मत्स्य विभाग के माध्यम से 175 युवाओं को मत्स्य पालन का प्रशिक्षण प्रदान कर उन्हें स्वरोजगार की दिशा में मोड़ा गया है। विभाग द्वारा मत्स्य पालन से जुड़े सभी व्यक्तियों को नेशनल फिशरीज डिजिटल प्लेटफार्म (एनएफडीपी) पर भी पंजीकृत किया जा रहा है। इससे उन्हें नई डिजिटल पहचान मिलने के साथ ही सरकार की विभिन्न योजनाओं की जानकारी भी प्राप्त हो रही है। मंडी जिला में अभी तक 362 किसान इस पर अपना पंजीकरण करवा चुके हैं। वित्त वर्ष 2024-25 में जिला के 48 ट्राऊट किसान प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना में शामिल हुए। इसके अतिरिक्त 16 लाभार्थियों को राज्य प्रायोजित योजना के तहत कॉर्प तालाबों के निर्माण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की गई। मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के दृष्टिगत वर्ष 2024-25 में 1043 व्यक्तियों को नदी-नालों में मछली पकड़ने के लिए अनुज्ञा पत्र भी जारी किए गए हैं।

उपायुक्त अपूर्व देवगन ने कहा कि ट्राऊट मत्स्य किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत करने के दृष्टिगत जिला में मत्स्य विभाग की विभिन्न योजनाओं का समयबद्ध क्रियान्वयन सुनिश्चित किया गया है। बरोट क्षेत्र में ट्राऊट उत्पादन की बेहतर संभावनाओं के दृष्टिगत यहां मत्स्य किसानों को विभिन्न सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा रही हैं।

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