जिन लोगों पर एफआईआर हुई उनमें से 90% आपदा प्रभावित, कांग्रेस सरकार असंवेदनशील : भाजपा

शिमला ब्यूरो सुभाष शर्मा 28/07/2025

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• क्या स्थानीय जनता को अपना अधिकार मांगने का हक भी नहीं है, अगर कोई अपना अधिकार मांगता है तो क्या सरकार उस प्रत्येक व्यक्ति के ऊपर केस दर्ज करेगी, अगर एक कॉलेज को कुछ नुकसान हो गया तो उसकी मरम्मत करने के बजाय उसकी कहीं और शिफ्ट कर दिया जाएगा !
• एफआईआर तुरंत रोल बैक करें सरकार
• जनता में रोष इसलिए आया क्योंकि जगत नेगी की भाषा ठीक नहीं थी : भाजपा
• तिरंगे का अपमान कैसे : भाजपा

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शिमला, भाजपा प्रदेश प्रवक्ता अजय राणा ने कहा वर्तमान कांग्रेस सरकार और उनका मंत्रिमंडल प्रदेश में एक असंवेदनशील सरकार का संचालन कर रही है। ना जाने वह समय कब आएगा जब प्रदेश की कांग्रेस सरकार और उनके नेता जनता का दर्द समझ पाएंगे।

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अजय राणा ने कहा ने कहा कि जब से आपदा आई है तब से मंडी जिला के सभी क्षेत्र के साथ भेदभाव हो रहा है और शायद यह इस कारण से हो रहा है क्योंकि यहां से हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष जय राम ठाकुर आते हैं। अगर यह क्षेत्र किसी कांग्रेस के नेता का होता तो शायद सरकार का रुख कुछ और होता।

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हम हिमाचल सरकार की कड़ी निंदा करते हैं कि जिस प्रकार से 65 से अधिक लोगों के ऊपर थुनाग क्षेत्र में केस दर्ज हुआ वह अति निंदनीय है, जिसको सरकार द्वारा तुरंत वापस लेना चाहिए। सरकार को यह भी देखना चाहिए था कि किन लोगों पर वह एफआईआर दर्ज कर रहे हैं, हम स्पष्ट रूप से सरकार के कानों तक यह आवाज पहुंचाना चाहते हैं कि 90% लोग उस धरना प्रदर्शन में वह थे जिन पर इस आपदा का कहर टूटा है। एक तो उन्होंने इस आपदा में अपने गांव के गांव खो दिए, जमीन चली गई, घर रहा नहीं, बिजली पानी है नहीं, सड़क से संपर्क टूट गया है जिन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि इस प्रकार से उनको जीना पड़ेगा वह अपना जीवन नए सिरे से शुरू करने का प्रयास कर रहे हैं। उन लोगों पर इस सरकार ने एफआईआर दर्ज कर दी यह हैरानी की बात है।
मामला क्या था एक बार सरकार को सोचना चाहिए हम बताते हैं कि जब कांग्रेस के मंत्री जगत सिंह नेगी थुनाग पहुंचे तो वहां स्थानीय लोगों ने मंत्री से बात की कि थुनाग हॉर्टिकल्चर एंड फॉरेस्ट्री कालेज को यहां से दूसरी जगह न ले जाएं। इस पर जगत सिंह नेगी ने कहा कि यह फैसला कैबिनेट का है और यह फैसला कैबिनेट में होगा। इसके बाद लोग भड़के गए। इस दौरान लोगों ने एक ही मांग रखी कि मंत्री महोदय बाहर आकर यह कह दें कि हॉर्टिकल्चर कॉलेज को यहां से नहीं उठाया जाएगा, तो वे वापस चले जाएंगे, लेकिन मंत्री बाहर निकले और सीधे गाड़ी में बैठ गए। इस दौरान लोग काफिले के आगे खड़े होकर विरोध करते रहे। क्या स्थानीय जनता को अपना अधिकार मांगने का हक भी नहीं है ? अगर कोई अपना अधिकार मांगता है तो क्या सरकार उस प्रत्येक व्यक्ति के ऊपर केस दर्ज करेगी ? अगर एक कॉलेज को कुछ नुकसान हो गया तो उसकी मरम्मत करने के बजाय उसकी कहीं और शिफ्ट कर दिया जाएगा ?

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सामूहिक एफआरआई की कड़ी निंदा : भाजपा

प्रदेश क्या देश में पहली बार ऐसा हुआ होगा कि जिन लोगों पर आपदा की कठिन परिस्थितियों का प्रकोप आया उन पर सामूहिक केस दर्ज कर दिए गए, इसकी भारतीय जनता पार्टी कड़ी निंदा करती है और सरकार से मांग करती है कि इन केसों को तुरंत प्रभाव से वापस लेना चाहिए।

तिरंगे का अपमान कैसे : भाजपा

जब पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल किन्नौर गए थे तो उनके काफिले का भी घेराव हुआ और काले झंडे दिखाएंगे गए ! इसी प्रकार जब पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर किन्नौर गए तब उनके काफिले को भी काले झंडे दिखाए गए और यही नहीं 15 अगस्त के पवित्र दिन पर भी तो उस समय के मंत्री वीरेंद्र कंवर के काफिले को किन्नौर में काले झंडे दिखाए गए तब भी तो तिरंगा था, अब यह नया केस बनाकर क्या हिमाचल प्रदेश की भोली भाली जनता को डराने का प्रयास किया जा रहा है ?
जनता में रोष इसलिए आया क्योंकि जगत नेगी की भाषा ठीक नहीं थी : भाजपा
सोचने का विषय यह है कि जनता भड़की क्यों ? जब जनता ने जगत नेगी से बात करने का प्रयास किया तो उन्होंने सीधा-सीधा कह दिया कि तुम्हारी भूमि जिस पर आपदा का कहर बरसा है उसका मुआवजा नहीं मिलेगा क्योंकि तुम्हारी भूमि तो कब्जाई है। इसे जनता भड़क गई, साथ ही राजस्व मंत्री आपदा की दृष्टि से सबसे महत्वपूर्ण मंत्री है और उनको प्रथम दिन से थुनाग आना चाहिए था, पर वह नहीं आए उनके पास 25 दिन तक समय ही नहीं था। राजस्व मंत्री ने सचिवालय में बैठकर बयानबाजी करी जो की ठीक नहीं थी और उन्होंने कहा था कि जब नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर को चोट लगी तब उनको पता लगा इस बयान से भी जनता भड़की हुई थी। एक मंत्री को इस प्रकार के बयानों के बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए।
भाजपा प्रवक्ता ने कहा ने सराज विधानसभा क्षेत्र का उदाहरण देते हुए कहा कि यहां पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने 240 करोड़ रुपये की लागत से बागवानी एवं वानिकी कॉलेज की आधारशिला रखी थी और इसके लिए 10 करोड़ की पहली किश्त भी जारी की गई थी। कॉलेज के लिए ज़मीन चिन्हित हो चुकी थी, फॉरेस्ट क्लीयरेंस मिल चुका था और काम शुरू हो गया था। लेकिन सत्ता में आते ही कांग्रेस सरकार ने इस परियोजना को ठप कर दिया और अब आपदा का बहाना बनाकर कॉलेज को शिफ्ट करने की साजिश की जा रही है।

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