गुरुकुल इंटरनेशनल सीनियर सेकेंडरी स्कूल में शिक्षा के आकाश पर एक और सितारा — डॉ. लखविंदर कौर अरोड़ा को दो प्रतिष्ठित राष्ट्रीय पुरस्कारों से किया गया सम्मानित

शिक्षा के क्षेत्र में समर्पण, नवाचार और नेतृत्व का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करते हुए गुरुकुल इंटरनेशनल सीनियर सेकेंडरी स्कूल, सोलन की प्रतिष्ठित प्रधानाचार्या डॉ. लखविंदर कौर अरोड़ा को हाल ही में दो राष्ट्रीय स्तर के महत्वपूर्ण पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।

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डॉ. अरोड़ा को “एजुकेशन पिन्नैकल अवॉर्ड – 2025” तथा “रवीन्द्रनाथ टैगोर राष्ट्रीय प्रिंसिपल पुरस्कार” से नवाज़ा गया। यह सम्मान उन्हें उनके प्रेरणादायी शैक्षणिक नेतृत्व, दूरदर्शिता और विद्यार्थियों के समग्र विकास के लिए किए गए सतत प्रयासों के लिए प्रदान किया गया।

एजुकेशन पिन्नैकल अवॉर्ड – 2025 – एक एहसास फाउंडेशन, मेरठ द्वारा लुधियाना स्थित श्री गुरु नानक देव भवन में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें देशभर से चुनिंदा शिक्षाविदों को आमंत्रित किया गया था। कार्यक्रम में डॉ. अरोड़ा का सम्मान पूरे गरिमामयी माहौल में किया गया।

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डॉ. लखविंदर कौर अरोड़ा का शैक्षणिक जीवन सिर्फ एक प्रशासनिक भूमिका तक सीमित नहीं रहा। उन्होंने शिक्षा को एक मिशन के रूप में लिया और अपने विद्यार्थियों के भविष्य को सँवारने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उनका मानना है कि “शिक्षा केवल किताबी ज्ञान नहीं, बल्कि जीवन निर्माण की कला है।”

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यह पहली बार नहीं है जब उन्हें इस प्रकार के राष्ट्रीय सम्मान मिले हों। इससे पूर्व भी वे अनेक बार राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत हो चुकी हैं। उनके नवाचार, अनुशासन और विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के प्रति प्रतिबद्धता उन्हें आज देश के अग्रणी शिक्षण प्रमुखों में शामिल करती है।
डॉ. अरोड़ा की इस दोहरी उपलब्धि पर गुरुकुल इंटरनेशनल स्कूल सोलन में उत्सव का माहौल रहा। विद्यालय के निदेशक ने अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा:

“डॉ. लखविंदर कौर अरोड़ा की यह सफलता केवल उनकी नहीं, बल्कि पूरे गुरुकुल परिवार की है। उन्होंने हमारे विद्यालय की प्रतिष्ठा को राष्ट्रीय पटल पर स्थापित किया है।”
इस अवसर पर डॉ. अरोड़ा ने विद्यालय परिवार के प्रति आभार प्रकट करते हुए कहा:

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“यह पुरस्कार मैं अपने समर्पित स्टाफ, विद्यार्थियों और अभिभावकों को समर्पित करती हूँ। हमारी सच्ची लगन, अनुशासन और निरंतर प्रयास ही सफलता की कुंजी हैं।”
डॉ. अरोड़ा की यह उपलब्धि शिक्षा क्षेत्र में कार्यरत सभी शिक्षकों, प्रधानाचार्यों और विद्यार्थियों के लिए एक प्रेरणास्त्रोत है। उन्होंने यह साबित कर दिया कि जब नेतृत्व उद्देश्यपूर्ण होता है, तो वह न केवल विद्यालय, बल्कि सम्पूर्ण समाज के भविष्य को गढ़ता है।

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