कांग्रेस ने ब्यान देने से पहले इतिहासिक तथ्यों को समझा ही नहीं : धूमल

शिमला, ब्यूरो सुभाष शर्मा 17/01/2024

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प्रेम कुमार धूमल, पूर्व मुख्यमन्त्री एवं बरिष्ठ भाजपा नेता ने प्रैस विज्ञप्ति के माध्यम से कहा कि सरकार की ओर से दिये गये उस ब्यान को पढ़कर आश्चर्य हुआ जिसमें भाजपा के हिमाचल विरोधी मानसिकता का जिक्र किया, लगता है ब्यान देने से पहले इतिहासिक तथ्यों को समझा ही नहीं गया और इसी कारण तथ्यों के विपरीत यह ब्यान दिया गया है । देश की जनता को तथ्यों से अवगत करवाने के लिये यह आवश्यक है कि सारी बात विस्तार से लोगों के समक्ष लाई जाये ।

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पहली नवम्बर 1966 को पंजाब का पुनर्गठन हुआ उसमें से हरियाणा नया राज्य बना और पहाड़ी क्षेत्र हिमाचल में सम्मलित हुआ, उस समय केन्द्र में कांग्रेस की सरकार थी । संसद में पारित किये गये कानून पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 (Punjab Re-Organisation Act, 1966) के अन्तर्गत जितनी आबादी पुनर्गठन के आधार पर जिस प्रदेश में गई उतनी ही परिसम्पत्तियां और देनदारियां उस राज्य को मिलीं ।

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उस समय देश और तीनों प्रदेशों में कांग्रेस सत्ता में थी परन्तु दुख की बात है कि जब भाखड़ा बांध व अन्य परियोजनाओं का बंटवारा हो रहा था तब हिमाचल सरकार के मुख्यमन्त्री या मन्त्री किसी बैठक में शामिल नहीं हुये, परिणामस्वरूप हिमाचल का दावा कमजोर रहा ।

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प्रो० धूमल ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने ही बिद्युत परियोजनाओं में रॉयल्टी और हिमाचल के हिस्से का प्रश्न उठाया। अपनी मांगों को लेकर हिमाचल से लेकर दिल्ली तक अधिकार यात्रा निकाली गई जिसमें पंचायत समिति से लेकर संसद तक के प्रतिनिधि शामिल हुये । पूर्व मुख्यमन्त्री श्री शान्ता कुमार जी विधायक दल के नेता थे उनके नेतृत्व में अधिकार यात्रा निकली, मैं उस समय पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष था ।

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दिल्ली में हमने अपनी मांगों को लेकर धरना दिया और हमारे राष्ट्रीय नेता श्रद्धेय श्री अटल बिहारी वाजपेई जी, लाल कृष्ण आडवाणी जी, कृष्ण लाल शर्मा जी आदि धरने में शामिल भी हुये, हमें सम्बोधित किया और हमारी मांगों का पूरा समर्थन भाजपा ने राष्ट्रीय स्तर पर किया ।

12 प्रतिशत मुफ्त बिजली का हिस्सा हमें मिले यह मुद्दा भी श्री शान्ता कुमार जी ने मुख्यमन्त्री रहते हुये उठाया और तत्कालीन केन्द्रीय ऊर्जा मन्त्री श्री कल्पनाथ राय ने समर्थन किया । हिमाचल को रॉयल्टी दिलाने का श्रेय भी भाजपा नेतृत्व को जाता है ।

1995 में मुख्यमन्त्री श्री वीरभद्र सिंह जी ने उच्चतम न्यायालय में हिमाचल के हिस्से के लिये हिमाचल सरकार की ओर से मुकदमा दायर करने का निर्णय लिया था । वर्षों तक यह मामला अदालत में लटका रहा। 2008 में पुनः सत्ता में आने पर मैंने त्वरित कार्यवाही करने के लिये अनेकों बैठकें की और बढ़िया से बढ़िया बकील उच्चतम न्यायालय में प्रदेश की पैरवी करने के लिये नियुक्त किये । काफी परिश्रम के बाद हमारे बकीलों और अधिकारियों के प्रयास सफल हुये । सितम्बर 2012 में उच्चतम न्यायालय का निर्णय हिमाचल प्रदेश के पक्ष में आया जिसके अनुसार 12 प्रतिशत मुफ्त बिजली के अतिरिक्त पंजाब पुनर्गठन अधिनियम के अन्तर्गत हिमाचल को 7.19 प्रतिशत हिस्सा पहली नवम्बर 1966 से मिला ।

उन्होंने ने कहा कि उच्चतम न्यायालय का निर्णय आने के बाद हमने ऊर्जा प्रधान सचिव श्री दीपक सानन के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया जिसने पहली नवम्बर 1966 से सितम्बर 2012 तक का बकाया की गणना करके 4300 करोड़ रू0 की बकाया राशि बी०बी०एम०बी० के बाकि हिस्सेदार राज्यों, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान से हिमाचल के प्रति देय निकाली । हमने उच्चतम न्यायालय और सम्बन्धित प्रदेश सरकारों तथा केन्द्र की कांग्रेस के नेतृत्व वाली यू०पी०ए० सरकार के समक्ष अपना दावा रख दिया ।

दिसम्बर 2012 में कांग्रेस सत्ता में आ गई, अब कांग्रेस सरकार बताये कि उन्होंने 4300 करोड़ रू० का बकाया लेने के लिये 2012 से 2017 के बीच क्या कदम उठाये ? वास्तव में यह तथ्य लोगों के सामने आयेंगे तो हिमाचल विरोधी मानसिकता किस की है यह स्पष्ट हो जायेगा ।

प्रो० धूमल ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने अपना अधिकार और बकाया राशि लेने के लिये गम्भीर प्रयास नहीं किये। सरकार के पास सारे रिकार्ड कानूनी लड़ाई से लेकर अन्य पत्राचार तक उपलब्ध हैं, पैसा तो सम्बन्धित राज्यों से लेना था इसमें यदि अपना पक्ष सही ढंग से रखा जाता तो निश्चित तौर पर प्रदेश को लाभ होता । दोषारोपण से कोई लाभ होने वाला नहीं है। यह 4300 करोड़ का आंकड़ा भी हमारी सरकार द्वारा बनाई गई सानन कमेटी ने ही कैलकुलेट किया था। कांग्रेस की केन्द्र सरकार और प्रदेश सरकार हिमाचल का हक लेने में असफल रही है ।

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