सोलन न्यूज : किसी के लिए आत्मा की जुबां, किसी के लिए व्यापार कलम,चलाएं बड़ी समझ से इसको, है बिना लाईसेंस का हथियार कलम

सोलन। भारत सरकार के युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय के उपक्रम नेहरू युवा केंद्र संगठन हिमाचल प्रदेश के सौजन्य से क्षेत्रिय परिवहन अधिकारी कार्यालय सोलन के सभागार में हिन्दी पखवाड़ा के समापन अवसर पर साहित्यिक गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में अतिरिक्त उपायुक्त सोलन अजय यादव ने मुख्यातिथि के रूप में शिरकत की। हिमाचल के वरिष्ठ साहित्यकार डा. शंकर वाशिष्ठ ने साहित्यक गोष्ठी की अध्यक्षता की। नेहरु युवा केंद्र संगठन हिमाचल प्रदेश की निदेशक ईरा प्रभात कार्यक्रम में विशेष रूप से उपस्थित रही।

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राष्ट्रभाषा हिन्दी के प्रचार और प्रसार के लिए समर्पित रहे इस कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्यातिथि अजय यादव ने दीप प्रज्जवलित कर किया। तदोपरांत नेहरु युवा केंद्र संगठन हिमाचल प्रदेश की निर्देशक ईरा प्रभात ने मुख्यातिथि और साहित्यिक गोष्ठी में पहुंचे सभी साहित्यकारों, कवियों और कलाकारों व समाजसेवियों का स्वागत किया। साहित्यिक गोष्ठी में मंच का संचालन हिमाचल प्रदेश शिक्षा विभाग से सेवानिवृत शिक्षिका एवं वरिष्ठ कवयित्री कौमुदी ढल ने किया। गोष्ठी में सोलन सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से नवोदित और वरिष्ठ साहित्यकारों ने राष्ट्रभाषा हिन्दी के सम्मान में अपनी रचनाएं प्रस्तुत की और युवा पीढ़ी को इसे बिना किसी झिझक के हिन्दी भाषा बोलने के लिए प्रोत्साहित किया।

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गोष्ठी में सर्वप्रथम नवोदित कवयित्री रक्षा वर्मा ने कहा कि हिन्दी से है हिन्दुस्तान, हिन्दी से ही हमारी शान है कविता प्रस्तुत कर हिन्दी भाषा को प्रोत्साहित करते हुए युवाओं से इस भाषा को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाने का आह्वान किया। इसके बाद वरिष्ठ साहित्यकार डॉ.शंकर वाशिष्ठ ने धुआं-धुआं अंदर और बाहर भी,ठंडी आग घृणा की जलाईई किसने, मचा है आज कोहराम चारों ओर,दीवार विश्वास की गिराई किसने… रचना प्रस्तुत कर देश में वर्तमान में चल रही परिस्थितियोंं को उजागर किया। समाजसेवी सत्यन ने पौराणिकता की धरोहर है हिन्दी,नवीनता का सरोवर है हिन्दी कविता प्रस्तुत की।

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इसके बाद रविंद्र दत्त जोशी ने किसी के लिए आत्मा की जुबां, किसी के लिए व्यापार कलम,चलाएं बड़ी समझ से इसको, बिना लाईसेंस का हथियार है कलम… कविता प्रस्तुत कर श्रोताओं से वाहवाही लूटी। नवोदित कवयित्री एवं कलाकारा अनुषा जोशी ने कहा कि …न रूकना है,न डरना है,जो असंभव लगे,वो ही तो करना है…प्रस्तुत कर निराशा से घिरी आज के युवाओं को अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। वरिष्ठ कवयित्री डॉ.अर्चना पंत ने कहा कि …उर्दू से नफरत नहीं, इंग्लिश है अपनी जगह,हो हिन्दुस्तानी तो हिन्दी भी पढ़ो…रचना प्रस्तुत की।

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इसके बाद प्रदेश शिक्षा विभाग से सेवानिवृत शिक्षक डॉ.नरेंद्र शर्मा ने वैसे भी युद्ध पाश्विक प्रवृति का प्रतीक है, फिर युद्धों की भी अपनी-अपनी परंपराएं हैं… कविता प्रस्तुत कर युद्धों पर अब विराम लगाने की सिफारिश की।

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इसके बाद प्रदेश शिक्षा विभाग से संयुक्त निदेशक के पद से सेवानिवृत वरिष्ठ साहित्यकार रोशन जसवाल ने …सच कहा आपने,मैं इस शहर का नहीं हूॅं,आपके सुर अलग हैं, मैं इस बहर का नहीं हूॅं…कविता प्रस्तुत की। इसके उपरांत हिमाचल प्रदेश के जाने माने साहित्यकार कुलराजीव पंत ने मंच संभालते हुए अपनी चर्चित कविता रफू का काम पढ़ी। उन्होंने कहा कि अब चिड़िया शाम को लौटेगी नारों से सभी,पोस्टरों से भरा झोला,कहां पर लटकाएं,थकी थकी सी फिर डलवाऊंगा उससे सूई में धागा सुबह रफू का काम आगे बढ़ेगा।

जाने माने व्यंग्यकार अशोक गौतम ने कहा कि पगडंडियां छोड़ सड़कों पर आना, भीड़ होते हुए भी अकेले गुनगुनाना कविता प्रस्तुत कर गागर में सागर भरने का प्रयास किया। इसके बाद वरिष्ठ कवयित्री कौमुदी ढल ने अपनी कविता प्रस्तुत करते हुए कहा कि… हे सौन्दर्यमयी ललित ललाम, मां हिन्दी तुम्हे प्रणाम… तुम पूजनीय गरिमामय सरस्वती का भण्डार,कोटि-कोटि जन करते अभिनंदन बारम्बार।

जिला औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान सोलन की छात्राएं भारती और आंचल ने भी कविता पाठ कर अपनी प्रतिभा को प्रदर्शन किया। इस मौके पर नेहरू युवा केंद्र संगठन सोलन के लेखपाल अनुराग यादव, केंद्र के पूर्व लेखपाल डॉ.लेखराज कौशिक सहित कई शिक्षण संस्थानों के छात्र छात्राएं और डीएमआर से आए वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. बीएल अत्री भी कार्यक्रम में शामिल हुए। कार्यक्रम के अंत में नेहरु युवा केंद्र संगठन हिमाचल प्रदेश की निदेशक ईरा प्रभात ने साहित्यिक गोष्ठी में पहुंचे सभी साहित्यकारों, कवियों,लेखकों व समाजसेवियों का आभार व्यक्त किया।

 

 

 

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