आर्थिक प्रगति में रुपये के अंतर्राष्ट्रीयकरण के सकारात्मक प्रभावों पर की चर्चा आरबीआई ने धर्मशाला में किया टाउनहॉल कार्यक्रम आयोजित

ब्रह्मू राम सरेना धर्मशाला, 14 जून।
भारतीय रिजर्व बैंक(आरबीआई), चंडीगढ़ की ओर से आरबीआई, केंद्रीय कार्यालय, मुंबई के कार्यपालक निदेशक राधा श्याम रथ के समग्र मार्गदर्शन में अधिकृत डीलर (एडी) बैंकों तथा उनके निर्यातक-आयातक ग्राहकों तथा अन्य संस्थाओं के लिए रुपये के अंतर्राष्ट्रीयकरण तथा विदेशी व्यापार संबंधी मामलों पर धर्मशाला में टाउनहॉल कार्यक्रम का आयोजन किया।
कार्यक्रम में आरबीआई के चंडीगढ़ तथा शिमला कार्यालयों के क्षेत्रीय निदेशक विवेक श्रीवास्तव तथा आर.एस. अमर सहित आरबीआई के अन्य वरिष्ठ अधिकारी सम्मिलित हुये। भारतीय स्टेट बैंक तथा केनरा बैंक के मुख्य महाप्रबन्धक कृष्ण शर्मा तथा जनार्दन राव सहित अन्य बैंकों के अनेक वरिष्ठ अधिकारी भी कार्यक्रम में उपस्थित रहे । इनके अतिरिक्त एफईडीएआई से मुख्य कार्यकारी अधिकारी अश्वनी सिंधवानी, भारत सरकार के विदेश व्यापार महानिदेशालय, कस्टम विभाग के वरिष्ठ अधिकारी तथा प्रबंधक,ईसीजीसी ने भी कार्यक्रम के दौरान सत्र लिये ।
कार्यपालक निदेशक, आरबीआई ने अनुकूल परिस्थितियों की चर्चा करते हुये देश की आर्थिक प्रगति में रुपये के अंतर्राष्ट्रीयकरण से होने वाले सकारात्मक प्रभावों का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि धीरे धीरे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में डॉलर के अलावा अन्य मुद्राओं के लिए भी क्षेत्र खुल रहा है और अंतर्राष्ट्रीय लेनदेन में उपयोग के लिए रुपया एक संभावित मुद्रा के रूप में उभरने को तैयार है। इस पृष्ठभूमि में, उन्होंने रुपये के अंतर्राष्ट्रीयकरण को बढ़ावा देने की दिशा में देश के निर्यातकों-आयातकों तथा बैंकों की महत्वपूर्ण भूमिका पर भी चर्चा की । साथ ही व्यापारियों के बीच रुपए के अंतर्राष्ट्रीय उपयोग के लाभऔर घरेलू वित्तीय बाजारों को मजबूत करने पर भी चर्चा हुई । उन्होंने जोर देकर कहा कि निरंतर प्रयासों से भारत अन्य देशों के साथ उच्च स्तर के व्यापार संबंधों को प्राप्त करेगा और रुपया एक ऐसे स्तर तक बढ़ सकता है जहां अनेक अर्थव्यवस्थाओं द्वारा भारत से आपसी व्यापार अपनी स्वयं की मुद्राओं में किया जा सकता है ।
विवेक श्रीवास्तव, क्षेत्रीय निदेशक, आरबीआई, चंडीगढ़ ने अपने संबोधन में विदेश व्यापार प्रणाली को समर्थन देने और मजबूत करने के लिए समन्वित प्रयासों के लिए बैंकरों को प्रोत्सा हित किया। उन्होंने भारत की आर्थिक समृद्धि को आगे बढ़ाने में व्यापार की भूमिका पर जोर दिया, जिससे देश को 2027 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने में मदद मिलेगी।उन्होंने बताया कि ये टाउनहॉलकार्यक्रम स्थानीय आयातक-निर्यातक समुदाय के लाभ के लिए हितधारकों को एक साथ लाने और स्थानीय बैंकिंग शाखाओं को आरबीआई की अपेक्षाओं से स्पष्ट रूप से अवगत कराने के उद्देश्य से विभिन्न स्थानों पर आरबीआई द्वारा आयोजित किए जाते हैं। उन्होंने आगे कहा कि इस तरह के टाउनहॉल कार्यक्रमों का उद्देश्य सुझाव इकट्ठा करना भी होता है।
आर. एस. अमर ने विदेशी व्यापार संबंधित नियमों में 1947 से अब तक समय-समय पर किए गए परिवर्तनों पर प्रकाश डाला ।
डीजीएफटी, ईसीजीसी और एफईडीएआई के प्रतिनिधियों ने भी विदेशी व्यापार में अपनी-अपनी भूमिकाएँ साझा कीं और इस तरह पारिस्थितिकी तंत्र को और मजबूत करने के लिए प्रतिभागियों को अपनी भूमिकाएँ बेहतर तरीके से निभाने के लिए प्रोत्साहित किया ।
रिजर्व बैंक के मुंबई स्थित केंद्रीय कार्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने रुपए के अंतर्राष्ट्रीयकरण और अन्य विदेश व्यापार संबंधी मामलों पर सहभागियों के प्रश्नों का बहुत सहज भाषा में समाधान दिया ।

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