अर्की कॉलेज में 12 लाख के घोटाले का पर्दाफाश, पुलिस जांच जारी

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Solan अर्की भारत केसरी टीवी

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सोलन जिले के राजकीय महाविद्यालय अर्की में उत्कृष्ट महाविद्यालय योजना के तहत जारी की गई धनराशि के दुरुपयोग का सनसनीखेज मामला सामने आया है। सरकार द्वारा कॉलेज के विकास के लिए जारी किए गए लगभग 12 लाख रुपये के खर्च को कागजों में दिखाकर हड़प लिया गया, जबकि मौके पर इन निर्माण कार्यों का कोई अता-पता नहीं है। इस गड़बड़ी का खुलासा वर्तमान प्राचार्य ने किया और मामले की गंभीरता को देखते हुए अर्की पुलिस थाने में शिकायत दर्ज करवाई गई है। पुलिस ने अब इस मामले की जांच शुरू कर दी है।

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कॉलेज परिसर में भ्रष्टाचार से जुड़ी एक प्रतीकात्मक डिजिटल चित्रण। इसमें खाली बास्केटबॉल कोर्ट और ओपन-एयर जिम दिखाया गया है, जो केवल कागजों में मौजूद है, पुलिस मामले की जांच कर रही है, और प्राचार्य चिंतित होकर दस्तावेज़ों को देख रहे हैं। यह छवि धोखाधड़ी और वित्तीय गड़बड़ी के माहौल को दर्शाती है।

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कैसे सामने आया घोटाला?

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कॉलेज के प्राचार्य, जो अगस्त 2023 से इस पद पर कार्यरत हैं, ने पदभार ग्रहण करने के बाद पाया कि सत्र 2021-22 में कॉलेज को “उत्कृष्ट महाविद्यालय” योजना के तहत एक करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत हुई थी। इस फंड से कॉलेज में विभिन्न विकास कार्य किए जाने थे। कॉलेज के आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार:

₹8,81,950 का भुगतान बास्केटबॉल कोर्ट निर्माण के लिए किया गया।

₹3,00,000 का खर्च ओपन-एयर जिम बनाने के लिए दिखाया गया।

लेकिन वास्तविकता यह है कि कॉलेज परिसर में न तो बास्केटबॉल कोर्ट है और न ही ओपन-एयर जिम।

कैसे हुआ घोटाला?

जांच के अनुसार, ठेकेदार नंदन कांट्रेक्टर सप्लायर, मंडी को 19 मार्च 2022 को ट्रेजरी अर्की से कुल ₹11,81,950 का भुगतान किया गया। दिलचस्प बात यह है कि:

22 फरवरी 2022 को निविदाएं आमंत्रित की गईं, जिसमें पांच कंपनियों ने भाग लिया।

चार कंपनियों को बिना कोई कारण अयोग्य ठहरा दिया गया और ठेका केवल नंदन कांट्रेक्टर को दे दिया गया।

9 मार्च 2022 को ठेका फाइनल हुआ और 12 मार्च 2022 को “काम पूरा” होने का प्रमाणपत्र जारी कर दिया गया।

16 मार्च 2022 को इस प्रमाणपत्र के आधार पर बिल सब-ट्रेजरी अर्की को भेजा गया, जिसे 19 मार्च 2022 को पास कर दिया गया।

हैरानी की बात यह है कि 12 मार्च 2022 तक मौके पर कोई भी निर्माण कार्य हुआ ही नहीं था!

कमेटी की भूमिका संदेहास्पद

इस घोटाले में कॉलेज की उस कमेटी की भूमिका भी संदेह के घेरे में है, जिसने इस भुगतान को स्वीकृति दी। कमेटी में शामिल सदस्य थे:

डा. दिनेश सिंह कंवर

डा. रमेश

डा. प्रेम पाल

रवि राम

डा. मुनीष कुमार

डा. आदर्श शर्मा

लिपिक राजेश्वर शर्मा

इस दौरान कॉलेज के कार्यकारी प्राचार्य डा. जगदीश चंद शर्मा थे, जो संस्कृत विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में कार्यरत थे। इस लेन-देन की प्रक्रिया सुपरिटेंडेंट चमन लाल ने पूरी की थी।

पुलिस ने दर्ज किया मामला

इस पूरे मामले की शिकायत मिलने के बाद अर्की पुलिस ने आईपीसी की धारा 420 (धोखाधड़ी), 468 (जालसाजी), 471 (फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल) और 34 (साझी साजिश) के तहत मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस अब इस गबन की गहराई से जांच कर रही है और आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की उम्मीद है।

निष्कर्ष

राजकीय महाविद्यालय अर्की में हुए इस कथित घोटाले ने सरकारी योजनाओं के दुरुपयोग की गंभीरता को उजागर किया है। कॉलेज विकास के लिए जारी राशि को ठेकेदार और कमेटी की मिलीभगत से हड़प लिया गया, जबकि विद्यार्थियों को इसका कोई लाभ नहीं मिला। अब देखना यह है कि पुलिस की जांच क्या नया खुलासा करती है और दोषियों के खिलाफ क्या कार्रवाई होती है।

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