Sirmaur: टीकाकरण की ओवरडोज से नहीं हुई नवजात की मौत, लापरवाही बरतने का केस दर्ज

जिला सिरमौर में जुड़वा नवजात शिशुओं में से एक की संदिग्ध मौत के मामले में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग अलर्ट मोड़ पर है। इस मामले में पुलिस ने फिलहाल लापरवाही बरतने का केस दर्ज किया है। स्वास्थ्य विभाग की मानें तो नवजात की मौत टीकाकरण की ओवरडोज से नहीं हुई है, बल्कि उसका पहली बार ही टीकाकरण हुआ था। फिलहाल अभी भी नवजात की मौत पर संशय बरकरार है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में ही सही कारणों का खुलासा हो पाएगा। मामले की गंभीरता को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने 23 नवम्बर को एडवर्स इवैंट्स फॉलोइंग इम्यूनाइजेशन (एईएफआई) की जिला स्तरीय कमेटी की बैठक भी बुलाई है। इस बैठक में माइक्रोबायोलॉजिस्ट, पीडियाट्रिशियन, मैडीकल कालेज नाहन के मैडीकल अधीक्षक, कम्यूनिटी मेडिसिन के डाॅक्टर, बीएमओ आदि शामिल होंगे। कमेटी इस गंभीर मुद्दे पर फैसला करेगी।

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ये है मामला 
यह घटना संगड़ाह उपमंडल की है। गत सोमवार को खुड़ द्राबिल में नवजात शिशुओं का टीकाकरण किया गया था। जुड़वा शिशुओं को भी राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के तहत टीकाकरण के लिए लाया गया था। इसी बीच दोनों बच्चों की अचानक तबीयत बिगड़ गई। जुड़वां भाई-बहन में से बहन ने नाहन मेडिकल कॉलेज पहुंचने से पहले ही दम तोड़ दिया, जबकि भाई अस्पताल में भर्ती है। शव का पुलिस ने पोस्टमार्टम करवा लिया है। घटना के बाद संबंधित टीके और उसके बैच से संबंधित सैम्पल लिए गए हैं।

शैड्यूल के मुताबिक हुआ टीकाकरण : सीएमओ 
सीएमओ सिरमौर डाॅ. अजय पाठक ने बताया कि बच्ची की मृत्यु दुखद है। मामले में यह कहा जा रहा है कि पहले दोनों नवजात बच्चों का मैडीकल कालेज में टीकाकरण किया गया था और बाद में संबंधित क्षेत्र में टीकाकरण किया गया, लेकिन ऐसा नहीं है। पहली बार ही खुड़ द्राबिल में शैड्यूल के मुताबिक टीकाकरण किया गया। प्री मैच्योर होने की वजह से पहले बच्चा मेडिकल काॅलेज नाहन में भी भर्ती रहा। डिस्चार्ज होने के बाद शैड्यूल के मुताबिक ही टीकाकरण की सलाह दी गई थी। मामले की गंभीरता को देखते हुए शुरूआती जांच के बाद भारत सरकार के इस तरह के मामलों में निर्धारित नियमों के मुताबिक ही एईएफआई की जिला स्तरीय कमेटी की बैठक बुलाई गई है। वैक्सीनेशन पूरी तरह से सुरक्षित है और भारत सरकार द्वारा निर्धारित मापदंडों के तहत ही इस दिशा में काम किया जा रहा है। फिलहाल मामले से अधिक जानकारी कमेटी की बैठक के बाद ही सांझा की जा सकेगी।

ये है टीकाकरण की एसओपी 
इस घटना ने टीकाकरण की मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) पर भी ध्यान आकर्षित किया है। टीकाकरण के लिए एसओपी में टीकों की जांच, कोल्ड चेन मैंटीनैंस और सही तरीके से टीका लगाने की प्रक्रिया शामिल है। टीका लगाने से पहले वैक्सीन की एक्सपायरी डेट और बैच नम्बर की जांच करना अनिवार्य है। इसके बाद बच्चे को सही डोज और उचित स्थान में टीका लगाया जाता है। टीकाकरण के बाद बच्चों को 30 मिनट तक निगरानी में रखना जरूरी होता है, ताकि किसी भी दुष्प्रभाव की स्थिति में प्राथमिक उपचार दिया जा सके। किसी भी आकस्मिक प्रतिक्रिया की सूचना तुरंत उच्चाधिकारियों को देना एसओपी का हिस्सा है। इसके अलावा एएनएम को नियमित रिकॉर्ड मैंटेन करना, समुदाय में स्वास्थ्य जागरूकता फैलाना और जरूरत पड़ने पर मरीजों को उच्च चिकित्सा केंद्र रैफर करना होता है। विशेषज्ञों का मानना है कि एसओपी का सख्ती से पालन किसी भी अप्रिय घटना को रोकने में मदद कर सकता है।

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