नौणी विश्वविद्यालय और हिमगिरी एग्री सॉल्यूशंस के बीच एप्पल साइडर विनेगर उत्पादन तकनीक हेतु समझौता


सोलन 17 मदन शर्मा जून, 2025
प्रमुख समाचार
डॉ. वाई.एस. परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी ने शिमला के रोहड़ू स्थित हिमगिरी एग्री सॉल्यूशंस के साथ एप्पल साइडर विनेगर उत्पादन तकनीक के व्यावसायीकरण के लिए समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं। यह विश्वविद्यालय की तीसरी स्टार्टअप साझेदारी है, जो खाद्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा डीएसटी परियोजना के तहत विकसित की गई तकनीक पर आधारित है।
हस्ताक्षरकर्ता:
विश्वविद्यालय की ओर से डॉ. संजीव चौहान (अनुसंधान निदेशक)
कंपनी की ओर से जतिंदर सिंह और जोगिंदर सिंह
उपस्थित गणमान्य:
कुलपति प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल
अधिष्ठाता डॉ. मनीष शर्मा
विभागाध्यक्ष डॉ. राकेश शर्मा
अन्य संकाय सदस्य
तकनीकी विशेषताएं:
यह तकनीक लो ग्रेड व विकृत सेबों का पूर्ण उपयोग सुनिश्चित करती है।
परंपरागत विधियों की तुलना में यह तेज़ और अधिक प्रभावी है।
किसानों की आय बढ़ाने एवं सेब बर्बादी कम करने में सहायक है।
डॉ. राकेश शर्मा ने बताया कि यह नवाचार किसानों के लिए आर्थिक रूप से लाभकारी है और पर्यावरण के अनुकूल है।
प्रो. चंदेल ने कहा, “सिरके की बढ़ती मांग को देखते हुए यह सहयोग सेब उत्पादक क्षेत्रों के लिए बेहद फायदेमंद होगा।”
जतिंदर सिंह (हिमगिरी) ने कहा, “हम इस तकनीक को आम जनता तक किफायती और स्वास्थ्यवर्धक उत्पादों के रूप में पहुंचाएंगे।”
यह समझौता विश्वविद्यालय और हिमगिरी के बीच पूर्व की साझेदारियों जैसे खेतीयारी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म, फ्रूट प्रोसेसिंग इनक्यूबेशन सेंटर के संचालन को और सशक्त बनाएगा।
पृष्ठभूमि:
यह तकनीक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की परियोजना (DST-2014) के तहत विकसित की गई थी।
अब तक दो स्टार्टअप्स हिली फूड्स (2018) और रुहिल (2021) इस तकनीक को अपना चुके हैं।
निष्कर्ष: यह समझौता न केवल हिमाचल के सेब उत्पादकों के लिए वरदान साबित होगा, बल्कि स्टार्टअप्स को टिकाऊ और लाभकारी व्यवसाय की दिशा में प्रेरित भी करेगा।
भारत केसरी टीवी न्यूज़ डेस्क