एक राष्ट्र एक चुनाव से भारत के मतदाताओं को होगा लाभ विशेषज्ञ वार्ता में हुआ मंथन

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शिमला, ब्यूरो सुभाष शर्मा 04/04(25

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हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय विधि अध्ययन संस्थान, शिमला द्वारा एक राष्ट्र एक चुनाव पर विशेषज्ञ वार्ता का आयोजन एवा लॉज में किया गया।
कार्यक्रम में पूर्व आईएएस अधिकारी जेसी शर्मा, पूर्व मंत्री सुरेश भारद्वाज एवं विश्वविद्यालय विधि अध्ययन संस्थान के प्रमुख शिव डोगरा उपस्थित रहे। छह
एक राष्ट्र एक चुनाव पर इस कार्यक्रम में विस्तृत चर्चा हुई जिसमें विचारों को लेकर आदान-प्रदान भी हुआ यह जानकारी जेसी शर्मा द्वारा दी गई।
शर्मा ने बताया कि एक साथ चुनाव , जिसे लोकप्रिय रूप से एक राष्ट्र एक चुनाव के रूप में जाना जाता है , का अर्थ है पूरे देश में सभी राज्य विधानसभाओं, लोक सभा और स्थानीय निकायों नगर पालिकाओं और पंचायतों के लिए एक साथ चुनाव कराना। भारत में 1951-52 से 1967 तक प्रादेशिक विधानसभाओं और लोक सभा के लिए चुनाव एक साथ होते थे। यह चक्र टूट गया और वर्तमान में चुनाव हर वर्ष और कभी-कभी एक वर्ष के भीतर अलग-अलग समय पर होते हैं, जिसके परिणामस्वरूप भारी सरकारी व्यय होता है, चुनावों में लगे सुरक्षा बलों और निर्वाचन अधिकारियों को लंबे समय तक अपने प्राथमिक कर्तव्यों से विमुख होना पड़ता है, आदर्श आचार संहिता लागू होने के कारण विकास कार्यों में बाधा उत्पन्न होती है। इस प्रकार, भारत के विधि आयोग ने चुनाव कानूनों में सुधार पर अपनी 170वीं रिपोर्ट में कहा कि सरकार को ऐसी स्थिति पर विचार करना चाहिए जहां लोकसभा और सभी विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाएं, अर्थात एक राष्ट्र एक चुनाव। एक राष्ट्र एक चुनाव के तहत, पूरे देश में लोकसभा और सभी विधानसभाओं के लिए हर पांच साल में केवल एक बार चुनाव होंगे ।
उन्होंने बताया कि एक राष्ट्र एक चुनाव बहुत लाभकारी है, एक साथ चुनाव कराने से मतदाताओं के लिए सुविधा और आसानी सुनिश्चित होती है, मतदाता थकान से बचते हैं, तथा मतदान प्रतिशत में वृद्धि होती है। एक राष्ट्र एक चुनाव से नीतियों में अधिक निश्चितता आएगी। बार-बार चुनाव होने से अनिश्चितता का माहौल बनता है और इससे नीतिगत निर्णय प्रभावित हो सकते हैं।
सुरेश भारद्वाज ने भी एक राष्ट्र एक चुनाव के लाभ गिनते हुए कहा कि चुनावों के एक साथ होने से आर्थिक स्थिरता और विकास में वृद्धि होगी, जिससे व्यवसाय प्रतिकूल नीतिगत परिवर्तनों के भय के बिना निर्णय लेने में सक्षम होंगे।
जब सरकार के तीनों स्तरों पर एक साथ चुनाव कराए जाएंगे, तो इससे उत्पादन और आपूर्ति श्रृंखला चक्र में व्यवधान से बचा जा सकेगा, क्योंकि इससे प्रवासी श्रमिकों को वोट डालने के लिए छुट्टी लेने से रोका जा सकेगा।

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