हिमाचल: अब 5वीं और 8वीं कक्षा में होगी नियमित परीक्षा, फेल होने पर दो मौके, फिर रोका जाएगा

शिमला। भारत केसरी टीवी

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हिमाचल प्रदेश सरकार ने स्कूली शिक्षा प्रणाली में बड़ा बदलाव करते हुए 5वीं और 8वीं कक्षा की परीक्षाएं अनिवार्य रूप से आयोजित करने का निर्णय लिया है। इसके लिए राज्य सरकार ने ‘निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009’ में संशोधन करते हुए ‘बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम 2025’ को अधिसूचित कर दिया है। सोमवार को इसे राजपत्र में राज्यपाल की मंजूरी के साथ जारी किया गया।

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परीक्षा में फेल होने पर मिलेगा दोबारा मौका

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संशोधित अधिनियम के तहत, अगर कोई छात्र 5वीं या 8वीं कक्षा की नियमित परीक्षा में फेल होता है, तो उसे अतिरिक्त शिक्षा दी जाएगी और एक बार फिर परीक्षा देने का अवसर मिलेगा। यदि वह पुनः असफल रहता है, तो उसे उसी कक्षा में रोक दिया जाएगा। यह प्रावधान छात्रों की पढ़ाई को और अधिक गंभीरता से लेने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।

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हर बच्चे के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान

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अधिनियम के तहत 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा सुनिश्चित की गई है। इसका उद्देश्य शिक्षा का अधिकार व्यवस्थित और जवाबदेह ढंग से लागू करना है, ताकि हर बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे।

निजी स्कूलों में 25% आरक्षण अनिवार्य

संशोधित अधिनियम में स्पष्ट किया गया है कि निजी स्कूलों को अपनी सीटों का 25 फीसदी हिस्सा आर्थिक रूप से कमजोर और वंचित वर्गों के बच्चों के लिए आरक्षित करना अनिवार्य होगा। यह प्रावधान सामाजिक न्याय और समावेशी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए जोड़ा गया है।

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