हजारों पेड़ों की कटाई और पहाड़ों में वनों की अंधाधुंध कटाई से हिमाचल की पारिस्थितिकी को भारी नुकसान : जगदीश भारद्वाज

सोलन मदन शर्मा 18 जुलाई

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एआईटीसी के प्रदेश अध्यक्ष जगदीश भारद्वाज ने आज आरोप लगाया कि हिमाचल प्रदेश में फोरलेन निर्माण के नाम पर लाखों पेड़ काटे जाने के बावजूद पहाड़ी क्षेत्रों में वनों की कटाई थमने का नाम नहीं ले रही है।

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उन्होंने कहा कि हिमाचल को भारत का स्विट्ज़रलैंड कहा जाता है, लेकिन यहां जिस तरह से फोरलेन निर्माण में लापरवाही बरती जा रही है, उससे आम लोगों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

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फोरलेन निर्माण के कारण कई स्थानों पर भू-धंसाव की घटनाएं सामने आई हैं, जिससे लोगों के घर और संपत्तियां खतरे में हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि सड़कों का पानी लोगों के घरों की ओर बह रहा है, जिससे आम नागरिकों को भारी परेशानियों से गुजरना पड़ रहा है।

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जगदीश भारद्वाज ने कहा कि हजारों परिवार मुआवजे की मांग को लेकर दर-दर भटक रहे हैं, लेकिन उनकी सुनवाई करने वाला कोई नहीं है।

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प्रदेश सरकार के मंत्री अनिरुद्ध सिंह के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए भारद्वाज ने कहा कि अब संघर्ष का रास्ता जरूरी हो गया है। अगर आज आवाज नहीं उठाई गई, तो आने वाले समय में हिमाचल विनाश की कगार पर पहुंच जाएगा।

उन्होंने कहा कि हिमाचल को स्विट्ज़रलैंड की संज्ञा इसलिए दी गई क्योंकि यहां की जलवायु और पर्वतीय क्षेत्र यूरोप जैसे हैं। मगर वहां पर जिस तरह से विकास के लिए पर्यावरण संतुलन को बनाए रखते हुए सड़कें बनाई गई हैं, अगर उसी तरह एनएचएआई और निजी फोरलेन निर्माण कंपनियों ने हिमाचल में काम किया होता, तो आज लोगों को डर और बेघर होने की स्थिति का सामना नहीं करना पड़ता।

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