स्थायी सरकारी रोजगार की समाप्ति की ओर एक खतरनाक कदम: हिमाचल सरकार की ‘Job Trainee’ नीति जनविरोधी है – DYFI

सोलन मदन शर्मा 26 जुलाई, 2025

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आज दिनांक 26.07.2025 को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए भारत की जनवादी नौजवान सभा (DYFI) की जिला कमेटी सोलन ने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा हाल ही में लाई गई ‘Job Trainee Policy 2025’ युवाओं के भविष्य पर एक संगठित हमला है और सत्ता में आने से पहले प्रदेश के युवाओं से किए गए स्थाई रोजगार के वादों के एकदम उलट है। इस नीति के अंतर्गत अब सरकारी विभागों में चयनित युवा कर्मियों को पहले दो वर्ष तक ‘प्रशिक्षु’ (Trainee) के रूप में रखा जाएगा, जिनके पास न तो स्थायी कर्मचारी का दर्जा होगा, और न ही कोई सेवा सुरक्षा, वेतनमान, छुट्टियाँ, पेंशन या अन्य सुविधाएँ।

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DYFI जिला समिति सोलन इस नीति को साफ तौर पर स्थायी सरकारी रोज़गार की अवधारणा को खत्म करने की एक पूंजीवादपरस्त साजिश मानती है। यह नीति उस वैचारिक हमले का हिस्सा है, जिसमें सरकारी सेवाओं को कमज़ोर कर रोज़गार को ठेका और अस्थायी आधार पर धकेला जा रहा है, ताकि मेहनतकश युवाओं को सस्ती मज़दूरी पर काम करने के लिए मजबूर किया जा सके।

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इस नीति की मुख्य खामियाँ:

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1. स्थायी नौकरी का अधिकार छीना जा रहा है – अब चयन के बावजूद युवाओं को दो साल तक “प्रशिक्षु” बना कर अस्थायीता में रखा जाएगा।

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2. कोई सेवा सुरक्षा नहीं – न तो वेतनमान तय है, न छुट्टियाँ, न पेंशन, और न ही स्थायी कर्मचारी जैसे अधिकार।

3. शोषण की खुली छूट – प्रशिक्षु को कभी भी हटाया जा सकता है। यह युवाओं के आत्मसम्मान और सुरक्षा पर हमला है।

4. योग्यता का अपमान – वर्षों की पढ़ाई और प्रतियोगी परीक्षाओं के बाद चयनित युवाओं को अब केवल “सीखने वाला” मान कर उनकी मेहनत और क्षमता का अनादर किया जा रहा है।

5. पूरे सरकारी क्षेत्र को अस्थायी बनाने की साज़िश – ये नीति शिक्षा, स्वास्थ्य, प्रशासन जैसे क्षेत्रों में निजीकरण और ठेकेदारी को बढ़ावा देगी।

भारत की जनवादी नौजवान सभा इस ज्ञापन के माध्यम से सरकार से यह मांग करती है कि इस जनविरोधी ‘Job Trainee’ नीति को तत्काल वापस लिया जाए व चयनित युवाओं को पहले दिन से ही पूर्ण सरकारी कर्मचारी के रूप में नियुक्त किया जाए।हिमाचल के मेहनतकश, पढ़े-लिखे युवाओं को सम्मानजनक, सुरक्षित और स्थायी रोज़गार का हक दिया जाए। सभी प्रकार की ठेकेदारी और अस्थायी व्यवस्था को समाप्त कर नियमित भर्तियों को प्राथमिकता दी जाए।
साथ ही साथ DYFI स्पष्ट रूप से सरकार को चेतावनी देती है कि यदि यह नीति तुरंत वापस नहीं ली गई, तो संगठन राज्यभर में ज़ोरदार जनआंदोलन की तैयारी करेगा। युवाओं का शोषण किसी भी रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा।

हम हिमाचल के सभी जागरूक युवाओं, छात्र संगठनों, बेरोज़गार मंचों और जनपक्षधर नागरिकों से अपील करते हैं कि वे इस नीति के खिलाफ संगठित प्रतिरोध खड़ा करें और DYFI के साथ मिलकर इस शोषणकारी व्यवस्था को जड़ से उखाड़ फेंकने की लड़ाई में शामिल हों।

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