BJP में शामिल हुए कैलाश गहलोत, खट्टर और हर्ष मल्होत्रा की मौजूदगी में ली सदस्यता

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 दिल्ली के पूर्व मंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के वरिष्ठ नेता कैलाश गहलोत ने मंगलवार को औपचारिक रूप से भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सदस्यता ग्रहण की। AAP छोड़ने के एक दिन बाद, गहलोत ने बीजेपी के हेडक्वार्टर में भाजपा नेता मनोहर लाल खट्टर, जय पांडा, दुष्यंत गौतम और हर्ष मल्होत्रा की मौजूदगी में पार्टी जॉइन की। गहलोत ने पार्टी छोड़ने के अपने फैसले का कारण बताते हुए कहा कि उन्होंने AAP के भीतर की कई नीतियों और कार्यशैली से असहमत होकर यह कदम उठाया है। AAP से इस्तीफा देने के बाद गहलोत ने अरविंद केजरीवाल को एक पत्र भी लिखा था, जिसमें उन्होंने पार्टी के भीतर चल रही आपसी राजनीति, भ्रष्टाचार के आरोपों और दिल्ली सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए थे। उन्होंने विशेष रूप से दिल्ली सरकार के ‘नया बंगला’ विवाद को शर्मनाक बताया, और कहा कि यह अब जनता को संदेह में डाल रहा है कि क्या पार्टी वास्तव में ‘आम आदमी’ के हक में काम कर रही है या केवल अपने राजनीतिक लाभ के लिए संघर्ष कर रही है।

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कैलाश गहलोत का पत्र: AAP के प्रति निराशा
गहलोत ने पत्र में लिखा था, “नया बंगला जैसे विवाद अब पार्टी की छवि पर सवाल खड़े कर रहे हैं। क्या हम सचमुच आम आदमी की पक्षधर पार्टी हैं? अगर दिल्ली सरकार अपना अधिकांश समय केंद्र सरकार से लड़ने में बिता रही है, तो दिल्ली के नागरिकों के लिए कोई वास्तविक प्रगति नहीं हो सकती।” उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी में अब कोई ऐसा नेतृत्व नहीं दिखता जो दिल्ली के लोगों की वास्तविक समस्याओं पर ध्यान दे सके।गहलोत ने यह भी आरोप लगाया कि AAP अब केवल राजनीतिक एजेंडे के लिए काम कर रही है और दिल्ली के लोगों को बुनियादी सेवाएं मुहैया कराने में भी विफल हो रही है। उनका कहना था, “मैंने अपनी राजनीतिक यात्रा दिल्ली के लोगों की सेवा करने की प्रतिबद्धता के साथ शुरू की थी और मैं चाहता था कि दिल्ली में वास्तविक परिवर्तन आए, लेकिन अब यह स्पष्ट हो गया है कि मुझे अब AAP में रहकर अपने उद्देश्यों को पूरा करना मुश्किल हो गया है। इसलिए मैंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया।”

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AAP ने गहलोत के पार्टी छोड़ने पर क्या कहा?
आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने गहलोत के भाजपा में शामिल होने पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह उनका व्यक्तिगत निर्णय है। उन्होंने कहा, “गहलोत का पार्टी छोड़ना उनकी मर्जी है, और अगर वे भाजपा में शामिल होते हैं तो हमें कोई फर्क नहीं पड़ता। उनका चुनाव है कि वे कहां जाएं।” यह बयान AAP की ओर से उनके पार्टी छोड़ने के बाद आया, जिसमें पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने गहलोत के इस्तीफे को व्यक्तिगत निर्णय बताया। हालांकि, AAP के भीतर गहलोत के इस्तीफे को लेकर内部 विवादों और राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप की चर्चा जारी है।

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कैलाश गहलोत का मंत्री पद से इस्तीफा
गहलोत ने रविवार को दिल्ली सरकार में अपने मंत्रिपद से इस्तीफा दिया था। वह गृह, प्रशासनिक सुधार, सूचना प्रौद्योगिकी (IT) और महिला एवं बाल विकास विभागों के प्रभारी थे। इस्तीफे के बाद यह अनुमान लगाए जा रहे हैं कि गहलोत ने दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी से अलग होकर BJP में शामिल होने का फैसला लिया। इस घटनाक्रम से दिल्ली की राजनीति में हलचल मच गई है, क्योंकि गहलोत एक महत्वपूर्ण नेता थे और नजफगढ़ क्षेत्र से विधायक थे। गहलोत का इस्तीफा और पार्टी छोड़ने का फैसला दिल्ली विधानसभा चुनाव के ठीक पहले हुआ है, जो अगले फरवरी में हो सकते हैं। भाजपा में शामिल होने के बाद गहलोत ने कहा कि वह दिल्ली की जनता की सेवा जारी रखना चाहते हैं और भाजपा के सिद्धांतों से पूरी तरह सहमत हैं।

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बीजेपी में गहलोत का स्वागत
बीजेपी में शामिल होते वक्त कैलाश गहलोत ने पार्टी नेतृत्व की सराहना करते हुए कहा कि भाजपा देश की सबसे बड़ी और मजबूत पार्टी है, जो समाज के हर वर्ग के लिए काम करती है। बीजेपी नेताओं मनोहर लाल खट्टर, जय पांडा, दुष्यंत गौतम और हर्ष मल्होत्रा की मौजूदगी में गहलोत ने कहा कि भाजपा के साथ जुड़कर उन्हें उम्मीद है कि वह दिल्ली की राजनीतिक स्थिति में बदलाव ला सकेंगे। बीजेपी नेता मनोहर लाल खट्टर ने गहलोत का स्वागत करते हुए कहा, “हम कैलाश गहलोत को भाजपा में देखकर खुश हैं। उनका अनुभव और दिल्ली के लिए उनकी सेवाओं को देखते हुए हमें पूरा विश्वास है कि वह पार्टी को और मजबूत करेंगे और दिल्ली में भाजपा के नेतृत्व को आगे बढ़ाएंगे।”

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भविष्य की राजनीति और चुनाव
यह घटनाक्रम दिल्ली विधानसभा चुनावों से पहले एक बड़ा राजनीतिक उलटफेर माना जा रहा है। कैलाश गहलोत का बीजेपी में शामिल होना, दिल्ली की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ ला सकता है, क्योंकि उनका इस्तीफा और भाजपा में शामिल होना AAP के लिए एक झटका है। गहलोत की लोकप्रियता और राजनीतिक अनुभव का लाभ भाजपा को आगामी चुनावों में मिल सकता है। कैलाश गहलोत के पार्टी छोड़ने और भाजपा में शामिल होने के बाद अब दिल्ली की राजनीति में नए समीकरण बनते हुए नजर आ रहे हैं। आगामी विधानसभा चुनावों में इस फैसले का असर साफ देखा जा सकता है, क्योंकि गहलोत की पहचान दिल्ली के प्रभावशाली नेताओं में रही है।

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