राहुल गांधी की भाषा ‘इलेक्शन रेज’ की भाषा : विनोद • राहुल गांधी यह बताएं कि अभद्र शब्दों का तो उन्होंने प्रयोग कर लिया, मगर विनम्रता के साथ क्या वे कोर्ट गए?

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शिमला, ब्यूरो सुभाष शर्मा 09/08/25

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भाजपा प्रदेश सचिव एवं विधायक विनोद कुमार ने कहा कि चुनावों में हार-जीत होती रहती है। यदि विपक्ष में सबसे लंबे समय तक किसी पार्टी ने जिम्मेदारी निभाई है, तो वह जनसंघ और भारतीय जनता पार्टी है। भाजपा ने सबसे लंबे कालखंड तक विपक्ष में रहते हुए जनसेवा की है, लेकिन फिर भी पार्टी के किसी नेता ने कभी ऐसा कोई वाक्य नहीं कहा, जिससे चुनाव आयोग या उसके अधिकारियों को धमकाया गया हो। राहुल गांधी के शब्द थे कि यदि मेरी प्रेस कॉन्फ़्रेंस पर जवाब नहीं आया, तो इसके बहुत घातक परिणाम होंगे। प्रश्न यह उठता है कि क्या घातक परिणाम होंगे? उन्होंने यह भी कहा कि एक दिन ऐसा आ सकता है जब विपक्ष की सरकार बनेगी। वह अभी भी यह बात अपने मुंह से सपष्ट तौर पर नहीं कह पा रहे हैं कि कांग्रेस पार्टी की ही सरकार बनेगी। कांग्रेस पार्टी के सर्वोच्च नेता के मुंह से यह नहीं निकल पा रहा कि भविष्य में कांग्रेस सरकार बना सकती है। उनके मन में आत्मविश्वास की कमी है कि वे यह तक नहीं मान पा रहे कि कांग्रेस पार्टी कभी सरकार बना सकती है। आज भी वे यह कह रहे हैं कि ऐसा समय आ सकता है जब विपक्ष की कभी सरकार बने और तब, चुन-चुनकर, एक-एक अधिकारी को, चाहे वह कितना भी बड़ा क्यों न हो छोड़ा नहीं जाएगा। यह किस तरह की भाषा है? यह एक लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष की भाषा तो बिल्कुल नहीं हो सकती। यह किसी सड़क चलते व्यक्ति की भाषा है, जो रोड रेज में बोली जाती है। राहुल गांधी की भाषा ‘इलेक्शन रेज’ की भाषा है।

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विधायक विनोद कुमार ने कहा कि राहुल गांधी की गाड़ी का एक्सीडेंट हो गया है, उनकी पार्टी का एक्सीडेंट हो गया है और अब वो इलेक्शन रेज में आ गए हैं। जिस प्रकार रोड रेज के केस हम देखते हैं, उसी प्रकार राहुल गांधी का यह ‘इलेक्शन रेज’ है। यह कई महीनों से चल रहा है। आज हम जो किसी कुर्सी पर बैठे हुए हैं और बात कर रहे हैं, यह जनता जनार्दन के वोट के कारण है। हम जानता के नौकर हैं। बाबा साहेब अंबेडकर द्वारा बनाए गए संविधान के पन्नों में यह स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि चुनाव कैसे होंगे, चुनाव आयोग उसे कैसे संचालित करेगा, इसकी पूरी प्रक्रिया संविधान में दी गई है। बाबा साहब ने यह भी लिखा है कि यदि आयोग अपना काम ठीक से नहीं करता है, तो न्यायपालिका यानी कोर्ट भी है। कोई भी जाकर कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता है। राहुल गांधी यह बताएं कि अभद्र शब्दों का तो उन्होंने प्रयोग कर लिया, मगर विनम्रता के साथ क्या वे कोर्ट गए? क्या कांग्रेस ने इसके खिलाफ याचिका दायर की? महाराष्ट्र में कांग्रेस और उनके गठबंधन के कुल 288 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा और अगर राहुल गांधी को लगता है कि अधिकांश जगहों पर वोट की चोरी हुई, वोट नष्ट किए गए तो राहुल गांधी कैसे नेता हैं जो उन्होंने अपनी ही पार्टी के सदस्यों को निर्धारित समय-सीमा में कोर्ट नहीं भेजा। लेकिन नहीं, राहुल गांधी कोर्ट नहीं गए। राहुल गांधी नहीं गए, बल्कि उनके प्रॉक्सी कोर्ट गए।

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