*पाकिस्तान पर BLF ने फिर बरपाया कहर, बैक टू बैक 3 हमले किए, तेज हुई आजाद बलूचिस्तान की मांग*

पाकिस्तान में एक बार फिर कोहराम मच गया है. एक बार फिर पाकिस्तान में आजाद बलूचिस्तान की मांग उठ रही है. बताया जा रहा है कि बलूचिस्तान के एक रेबल ग्रुप ‘बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट’ ने सूबे के अलग-अलग तीन इलाकों में बैक टू बैक तीन धमाके किए है. बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट के स्पीकर मेजर गवाहराम बलोच ने बताया कि ‘हमने खारान और हेर्रोंक में सेना की चौकियों पर ग्रेनेड लॉन्चर से हमला किया. जिसमें हमने पाकिस्तान सेना के कई सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया और इसके साथ ही सेना के कई ठिकानों को भी नेस्तोनाबूद कर दिया. इससे पाकिस्तान सेना को बड़ा नुकसान पहुंचा है.’
इसी रात BLF के लड़ाकों ने चागी जिले में क्वेटा-ताफ्तान हाईवे पर एक तेल टैंकर को भी निशाना बनाया. हमले में टैंकर को पूरी तरह खत्म कर दिया गया. लेकिन ड्राइवर को सुरक्षित छोड़ दिया. इन हमलों ने बलूचिस्तान की सुरक्षा स्थिति को एक बार फिर से दुनिया के सामने जगजाहिर कर दिया है. पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने हमलों के बाद इलाके में तलाशी अभियान तेज कर दिया है. BLF का कहना है कि ये हमले बलूचिस्तान की आजादी के लिए उनकी लड़ाई का हिस्सा हैं. ग्रुप ने पाकिस्तानी सेना पर क्षेत्र के संसाधनों के शोषण और स्थानीय लोगों के दमन का भी आरोप लगाया है.

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*बहुत हुआ शोषण अब आजादी चाहिए:*

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हाल के महीनों में बलूचिस्तान में विद्रोही संगठनों के हमले बढ़े हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि यह क्षेत्र लंबे समय से उपेक्षा और अशांति का शिकार रहा है. जिसके चलते स्थानीय लोगों में गुस्सा बढ़ रहा है. इन घटनाओं ने एक बार फिर बलूचिस्तान में अलग देश की मांग को हवा दी है. पाकिस्तानी सेना ने अभी तक हमलों में हुए नुकसान की आधिकारिक जानकारी साझा नहीं की है, लेकिन इलाके में तनाव चरम पर है. सुरक्षा बलों की ओर से जवाबी कार्रवाई की संभावना भी जताई जा रही है.

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*कौन है बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट:*

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बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट एक अफगानिस्तान आधारित बलूच जातीय-राष्ट्रवादी रेबल ग्रुप है जो दक्षिण-पश्चिमी एशिया के बलूचिस्तान क्षेत्र में हिंसक रूप से अपनी आजादी की मांग के लिए आवाज उठाता है. इस अलगाववादी समूह की स्थापना जुम्मा खान मर्री ने 1964 में सीरिया के दमिश्क में की थी. इसने ईरान के सिस्तान और बलूचिस्तान प्रांत में 1968-1973 के विद्रोह और पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में हुए 1973-1977 के विद्रोह में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. 2003 में अल्लाह नज़र बलूच द्वारा समूह की कमान संभालने के बाद 2004 में यह इकाई फिर से उभरी है. तब से बीएलएफ ने एमआई और आईएसआई कर्मियों, सरकारी अधिकारियों और सैन्य कर्मियों पर हमलों की जिम्मेदारी ली है. 2016 में बीएलएफ के नेता अल्लाह नजर बलूच ने भारत से वित्तीय और अन्य प्रकार के समर्थन प्राप्त करने के लिए खुली मांग की थी. उन्होंने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) को टारगेट करने की भी कसम खाई थी. जिसके खंड बलूचिस्तान से होकर गुजरते हैं.

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