नॉनवेज सेवन से सेहत को खतरा – एफएसएसएआई ने किया अलर्ट


B.R.Sarena 03/03/25.
भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने बाजार में बिक रहे मांस, अंडों और अन्य नॉनवेज उत्पादों को लेकर सतर्कता बरतने की सलाह दी है। कई स्थानों से मिली शिकायतों के आधार पर यह आशंका जताई जा रही है कि इन खाद्य पदार्थों में हानिकारक एंटीबायोटिक्स और कीटनाशकों के अवशेष हो सकते हैं। इस संबंध में प्रदेश के सभी जिलों को निर्देश दिया गया है कि वे इन उत्पादों की नियमित जांच करें और समय-समय पर सैंपल लेकर परीक्षण करें।
विशेष रूप से बाहरी राज्यों से आने वाले चिकन में तेजी से बढ़ाने वाले एंटीबायोटिक इंजेक्शनों के इस्तेमाल की भी संभावना जताई जा रही है। कुछ प्रकार के मांस में भारी धातुओं (हैवी मेटल्स) की उपस्थिति को लेकर भी चिंता व्यक्त की गई है। हिमाचल प्रदेश में बिकने वाले नॉनवेज उत्पादों में चिकन, अंडे, फ्रोजन मीट, मटन, कीमा और मछली प्रमुख रूप से शामिल हैं।
एफएसएसएआई को मिली शिकायतों में यह भी कहा गया है कि कई जगहों पर मीट के कच्चे माल में हानिकारक टीके लगाए जाते हैं, जिससे उनमें कीटनाशक अवशेष पाए जाने की संभावना बढ़ जाती है। इससे पहले भी प्राधिकरण ने इस संबंध में चेतावनी जारी की थी।
कीटनाशकों का बढ़ता खतरा
मांस और पोल्ट्री उत्पादों में कीटनाशकों की उपस्थिति के कई कारण हो सकते हैं। भारत में 1948 से कीटनाशकों का उपयोग शुरू हुआ था, और वर्तमान में लगभग 260 प्रकार के पेस्टिसाइड अधिकृत रूप से फसलों पर प्रयोग किए जाते हैं। चूंकि पशु और पक्षी इन्हीं फसलों और घास का सेवन करते हैं, इसलिए उनके मांस में कीटनाशकों के अवशेष पाए जाने की संभावना अधिक रहती है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे रसायनों से युक्त मांस का सेवन करने से गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। इसलिए उपभोक्ताओं को जागरूक रहना चाहिए और खाद्य सुरक्षा मानकों का पालन सुनिश्चित करना आवश्यक है।