“नेशनल हेराल्ड को ₹2.34 करोड़ के विज्ञापन देने का आरोप बेबुनियाद: नरेश चौहान”

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शिमला मदन शर्मा 19 अप्रैल 2025

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मुख्यमंत्री के प्रधान मीडिया सलाहकार नरेश चौहान ने विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर और अन्य भाजपा नेताओं के उस आरोप को सिरे से खारिज किया है, जिसमें उन्होंने ‘नेशनल हेराल्ड’ अखबार को ₹2.34 करोड़ के विज्ञापन देने की बात कही थी।

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नरेश चौहान ने इन आरोपों को तथ्यहीन और भ्रामक बताया और कहा कि भाजपा नेता बिना तथ्य जांचे जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं और मुख्यमंत्री की छवि को धूमिल करने में लगे हैं, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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उन्होंने बताया कि पिछले ढाई वर्षों में नेशनल हेराल्ड को केवल ₹1 करोड़ के विज्ञापन दिए गए हैं, जबकि भाजपा सरकार के कार्यकाल में ‘ऑर्गेनाइज़र’, ‘पंचजन्य’, ‘मातृवंदना’ जैसी पत्रिकाओं को ₹2 करोड़ से अधिक के विज्ञापन दिए गए। इसके अलावा, ‘दीप कमल संदेश’, ‘छात्र उद्घोष’ (ABVP की पत्रिका), और नागपुर से प्रकाशित ‘तरुण भारत’ को भी ₹74 लाख से अधिक के विज्ञापन दिए गए, जिनके नाम तक जनता ने शायद ही सुने हों।

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उन्होंने आगे बताया कि जयराम सरकार ने कुल मिलाकर ₹2.93 करोड़ के विज्ञापन भाजपा से जुड़ी पत्र-पत्रिकाओं को दिए थे।

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बीजेपी नेताओं के इस दावे पर हैरानी जताते हुए कि नेशनल हेराल्ड अब प्रकाशित नहीं होता, उन्होंने कहा कि यह साप्ताहिक अखबार आज भी दिल्ली से अंग्रेज़ी में और ‘संडे नवजीवन’ नाम से हिंदी में नियमित प्रकाशित हो रहा है, साथ ही मुंबई से भी इसका प्रकाशन जारी है।

नरेश चौहान ने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों को परेशान कर रही है, क्योंकि भाजपा की लोकप्रियता लगातार घट रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा की शीर्ष नेतृत्व को कांग्रेस नेता राहुल गांधी से भय है, जो लगातार जनता की आवाज़ को उठा रहे हैं।

उन्होंने बताया कि नेशनल हेराल्ड की शुरुआत 1938 में कांग्रेस ने की थी, जो एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) के स्वामित्व में था। इस अखबार ने देश की आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। बाद में वित्तीय घाटे के कारण इसे Young Indian कंपनी को सेक्शन-8 के तहत ट्रांसफर किया गया। इसमें न कोई आर्थिक लाभ, न मनी लॉन्ड्रिंग और न ही संपत्ति हेरफेर की कोई बात थी।

अंत में नरेश चौहान ने विपक्ष के नेताओं को सलाह दी कि वे सरकार को अस्थिर करने की बजाय राज्य के हक की लड़ाई में रचनात्मक सहयोग दें। उन्होंने कहा कि विपक्ष के विधायक भी जनता द्वारा चुने गए हैं, इसलिए उनकी नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि वे राजनीतिक प्रतिशोध और भ्रामक प्रचार से बचें।

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