देशभर में 135 दवाइयों के सैंपल फेल,हिमाचल में बनी 38 दवाईयों के सेंपल भी शामिल

सोलन मदन शर्मा 25 जनवरी, 2025

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हिमाचल प्रदेश में बनने वाली दवाइयां एक बार फिर गुणवत्ता मानकों पर खरी नहीं उतरीं। केंद्रीय ड्रग विभाग ने दिसंबर महीने का अलर्ट जारी किया है, जिसमें हिमाचल में बनी 38 दवाइयों के सैंपल फेल हुए हैं। देशभर में कुल 135 दवाइयों के सैंपल मानकों पर खरे नहीं उतरे, जिनमें से 38 हिमाचल प्रदेश में निर्मित हैं। इनमें हार्ट, शुगर, किडनी, ब्लड प्रेशर और एंटीबायोटिक्स सहित कई अन्य दवाइयां शामिल हैं।

सबसे अधिक सैंपल बद्दी के औद्योगिक क्षेत्रों से फेल हुए हैं। छह उद्योग ऐसे हैं, जिनकी दो या उससे अधिक दवाइयों के सैंपल बार-बार फेल हो रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग ने इन उद्योगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 20 उद्योगों के सैंपल बार-बार फेल हो रहे थे, और अब इस सूची में छह और उद्योग जुड़ गए हैं।

किन क्षेत्रों से फेल हुए सैंपल
सीडीएससीओ (केंद्रीय दवा मानक नियंत्रण संगठन) के अनुसार, बद्दी के 24, नालागढ़ के 4, पांवटा साहिब और कालाअंब के 3-3, ऊना, कांगड़ा, बरोटीवाला और परवाणू के एक-एक उद्योगों के सैंपल फेल हुए हैं। लगातार खराब गुणवत्ता के कारण हिमाचल प्रदेश में निर्मित दवाइयों की साख पर सवाल खड़े हो रहे हैं। पिछले सात महीनों में हिमाचल में बनी 177 दवाइयों के सैंपल फेल हो चुके हैं, जबकि इसी अवधि में देशभर में कुल 563 सैंपल फेल हुए।

इन कंपनियों की दवाइयां गुणवत्ता पर खरी नहीं उतरीं
फेल सैंपलों में कई प्रमुख कंपनियों की दवाइयां शामिल हैं। उदाहरण के लिए:

बायोडिल फार्मास्यूटिकल्स, नालागढ़: डाइवैलप्रोएक्स के दो बैच
सीएमजी बायोटेक, कांगड़ा: बीटाहिस्टाइन
सिपला कंपनी, नालागढ़: ओकामैट
एडमैड फार्मा, बद्दी: पेंटाप्रोजोल
ऑर्चिड मेडलाइफ, बद्दी: जिंक सल्फेट
वेडएसपी फार्मास्यूटिकल्स, बद्दी: अमोक्सीसिलिन
केजन फार्मास्यूटिकल्स, बद्दी: पेंटोप्राजोल
एफी पेरेंट्रियल, बद्दी: आयरन सुक्रोज इंजेक्शन
अल्ट्रा ड्रग्स फार्मूलेशन्स, बद्दी: जस्टकोफ-एलएस
इसके अतिरिक्त, पांवटा साहिब, कालाअंब और परवाणू के भी कई उद्योगों की दवाइयों के सैंपल गुणवत्ता पर खरे नहीं उतरे हैं। इनमें सिरप, इंजेक्शन, एंटीबायोटिक्स और अन्य दवाइयां शामिल हैं।

आगे क्या होगा?
स्वास्थ्य विभाग ने बार-बार सैंपल फेल होने वाले उद्योगों पर कड़ी नजर रखने और कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है। बढ़ती सैंपल फेल होने की घटनाओं ने न केवल हिमाचल प्रदेश बल्कि पूरे देश में दवा उद्योग की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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