चहेतों को कैंटीन देने के लिए आईजीएमसी ने उड़ाई नियमों की धज्जियां: बलवीर वर्मा टेंडर किसी और के नाम पर अलॉट हुआ और सिक्योरिटी मनी सरकार के खास ने जमा की

शिमला मदन शर्मा 12 फरवरी 2025

Advertisement

आईजीएमसी न्यू ओपीडी ब्लॉक के कैंटीन आवंटन में लाखों का घोटाला
बिना कोडल फॉर्मेलिटी को पूरा किए दिया घपले को अंजाम
सरकारी आदेशों की धज्जियां उड़ाकर अनाधिकृत लोगों ने बांटी कैंटीन

शिमला : भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता और चौपाल विधायक बलवीर वर्मा ने शिमला से जारी बयान में आईजीएमसी न्यू ब्लॉक ओपीडी के कैंटीन के आवंटन में लाखों रुपए के घोटाले करने और नियमों को ताक पर रख कर कैंटीन आवंटित करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा की सरकार के चहेते लोगों को कैंटीन अलॉट करने में नियम कानून की धज्जियां उड़ाई गई है। जिस तेजी से आईजीएमसी के न्यू ब्लॉक ओपीडी की कैंटीन अलॉट की गई है वह अपने आप में किसी सरकारी काम को करने का वर्ल्ड रिकॉर्ड है। 20 अक्टूबर 2023 को 3:00 बजे आईजीएमसी के चिकित्सा अधीक्षक की अध्यक्षता में पांच सदस्य समिति की बैठक होती है जिसमें न्यू ब्लॉक ओपीडी में एक कैंटीन खोलने संबंधित विषय रखा जाता है। 25 अक्टूबर 2023 को इस मीटिंग का विवरण बाहर आता है।

26 अक्टूबर 2023 को आईजीएमसी द्वारा न्यू ब्लॉक ओपीडी में कैंटीन के टेंडर के लिए आवेदन जारी किया जाता है, जिसमें 33 खाद्य पदार्थों की लिस्ट का कोटेशन मांगा जाता है। सबसे हैरानी की बात है कि 26 अक्टूबर को ही आए इस टेंडर की डेडलाइन 26 अक्टूबर को दोपहर 1:00 बजे की होती है। आवेदन करने के लिए लोगों को अधिकतम 3 घंटे का समय दिया जाता है। जबकि हिमाचल प्रदेश वित्तीय नियम 2009 में स्पष्ट है कि किसी भी टेंडर का नोटिस कम से कम तीन सप्ताह के लिए जारी किया जाता है, अत्यावश्यक होने की स्थिति में इसे दो हफ्ते किया जा सकता है लेकिन व्यवस्था परिवर्तन वाली सुख की सरकार में इसे घटाकर तीन घंटा कर दिया जाता है। 26 अक्टूबर को ही 3:00 बजे वही कमेटी फिर बैठती है और कोटेशन के बारे में बताती है कि टेंडर की प्रक्रिया में कुल चार फर्म ने हिस्सा लिया था। जिसमें न्यू डायमंड नामक फॉर्म में सबसे कम दाम बताए हैं। इसलिए यह कैंटीन न्यू डायमंड को ही अलॉट कर दी जाती है। ₹10000 न्यू डायमंड को सिक्योरिटी मनी और लोक निर्माण विभाग द्वारा बताए जाने वाले किराए पर कैंटीन अलॉट हो जाती है।

हैरानी की बात यह है कि जिस कैंटीन को अलॉट किया जाना है उसका कितना किराया होगा उसका ना तो विभाग द्वारा असेसमेंट किया जाता है और ना ही किराए का टेंडर। विभाग द्वारा डेढ़ महीनें बाद किराया जारी किया जाता है जो 73227 रुपए प्रति महीना बताया जाता है। जानकारी के लिए बता दूं कि 10 साल पहले डॉक्टर्स पेशेंट कैंटीन का टेंडर 65000 रुपए प्रति महीने के किराए पर हुआ था। न्यू ब्लॉक ओपीडी की कैंटीन डॉक्टर्स पेशेंट कैंटीन से बहुत बड़ी है।

आईजीएमसी प्रशासन द्वारा की जा रही जल्दबाजी का असली कारण तब समझ आता है जब प्रशासन द्वारा निर्धारित की गई सिक्योरिटी मनी जिसे न्यू डायमंड द्वारा एफडी के रूप में जमा की जानी थी वह निजी व्यक्ति द्वारा जमा की जाती है। जमा करने वाले व्यक्ति का नाम संजय कुमार पुत्र हरि सिंह शेरपुर, निवासी बिंगा, धर्मपुर, मंडी है। ऐसे में सवाल उठता है कि न्यू डायमंड फर्म द्वारा जमा की जाने वाली सिक्योरिटी मनी को एक निजी व्यक्ति द्वारा क्यों जमा किया गया? वह व्यक्ति कौन है और उसका न्यू डायमंड से क्या लेना है? जिस तरह से आईजीएमसी की कैंटीन को अलॉट करने में वर्ल्ड रिकॉर्ड कायम किया गया है तो कहीं उसके पीछे कहीं और लोग तो नहीं है?

बलवीर वर्मा ने कहा कि टेंडर अलॉटमेंट में यह शर्त थी कि टेंडर प्राप्त करने वाली फर्म द्वारा ही बिजली पानी के बिल का भुगतान किया जाएगा और किसी भी हाल में एलपीजी सिलेंडर का इस्तेमाल किया जाएगा। लेकिन डेढ़ साल से ज्यादा का समय बीत जाने के बाद भी कैंटीन के नाम अलग से तो बिजली का कनेक्शन है और न ही पानी का। ऐसे में बिना एलपीजी और बिजली के कैंटीन कैसे चल सकती है? यानी बिजली का खर्च आईजीएमसी वहन कर रहा है। उन्होंने कहा कि 25 अप्रैल 2023 को जारी नोटिफिकेशन एचएफडब्लू–बी(बी)15- 07/ 2023 के आधार पर यह स्पष्ट है कि मेडिकल कॉलेज में किसी भी प्रकार के स्पेस अलॉटमेंट का काम एडिशनल या फिर ज्वाइंट डायरेक्टर के स्तर का अधिकारी ही कर सकता है। 17 जून 2023 की नोटिफिकेशन एचएफडब्लू(डीएमई) बी(2)–197/2002 यह कहती है कि सरकारी अस्पताल, मेडिकल कॉलेज में किसी भी प्रकार की व्यावसायिक गतिविधि के लिए सरकार द्वारा पूर्व में ही लिखित अनुमति ली जानी आवश्यक है और यह अनुमति लेने का कार्य जॉइंट डायरेक्टर या एडिशनल डायरेक्टर स्तर के अधिकारी का है।

बलवीर वर्मा ने कहा कि ऐसे में सवाल उठता है बिना सक्षम अधिकारी के यह कैंटीन इतना आपाधापी में क्यों अलॉट की गई? सक्षम अधिकारी को छोड़कर यह काम अनाधिकृत अधिकारी द्वारा किया गया तो सक्षम अधिकारी ने इसके खिलाफ आवाज क्यों नहीं उठाई? इतनी बड़ी प्रॉपर्टी के लिए ₹10000 की सिक्योरिटी मनी क्यों रखी गई? कैंटीन के किराए का असेसमेंट पहले क्यों नहीं किया गया? कैंटीन के किराए ऑक्शन क्यों नहीं किया गया? क्योंकि पीडब्लूडी का मूल्यांकन होता है वह न्यूनतम होता है। इस मामले में इतनी तेजी क्यों दिखाई गई की मात्र 3 घंटे के अंदर ही कैंटीन को अलॉट ही करना है। जिस आईजीएमसी अस्पताल में एक इंजेक्शन के लिए एक परिवार डेढ़ महीने तक इंतजार करता है और उसे इंजेक्शन नहीं मिलता है और इंजेक्शन के अभाव में मरीज की मृत्यु हो जाती है, उसी अस्पताल में एक कैंटीन अलॉट करने के लिए सारा प्रशासन आसमान सर पर उठा लेता है। क्यों नियम कानून की धज्जियां उड़ा दी जाती है? ऐसा क्यों? यह संजय कुमार पुत्र हरि सिंह शेरपुर, निवासी बिंगा, धर्मपुर, मंडी कौन है?इसका न्यू डायमंड से क्या सम्बंध है? आखिर क्यों आईजीएमसी को करोड़ों रुपए का चूना लगाया जा रहा है? यह पूरा प्रकरण बहुत गंभीर सवाल खड़े कर रहा है जिसका जवाब मुख्यमंत्री को देना होगा?

व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें

विज्ञापन बॉक्स (विज्ञापन देने के लिए संपर्क करें)


स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे
Donate Now
               
हमारे  नए ऐप से अपने फोन पर पाएं रियल टाइम अलर्ट , और सभी खबरें डाउनलोड करें
डाउनलोड करें

जवाब जरूर दे 

क्या हिमाचल की सरकार अपने कार्यकाल के 5 साल पूरे करेगी

View Results

Loading ... Loading ...


Related Articles

Back to top button
Close
Website Design By Mytesta.com +91 8809666000