“घुटनों के दर्द के लिए आयुर्वेद बनाम एलोपैथी: कौन सा उपचार है बेहतर?”

घुटनों के दर्द के उपचार के लिए आयुर्वेद और एलोपैथी दोनों में अलग-अलग दृष्टिकोण हैं।

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1. आयुर्वेद में घुटनों के दर्द का उपचार:
आयुर्वेद में घुटनों के दर्द को वात दोष की असंतुलन से जोड़ा जाता है। इसके उपचार में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों, आहार-विहार, और आयुर्वेदिक थेरेपी का उपयोग किया जाता है।

आयुर्वेदिक उपचार:
जड़ी-बूटियां:
अश्वगंधा: सूजन और दर्द को कम करने में सहायक।
गुग्गुल: गठिया और जोड़ों के दर्द के लिए उपयोगी।
हरिद्रा (हल्दी): एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रभाव के लिए।
नागरमोथा और सोंठ: जोड़ों के दर्द में राहत देने वाले।
तेल मालिश (अभ्यंगम):
महाविषगर्भ तेल, नारायण तेल, या मुरिवेण्णा तेल से मालिश करने से दर्द और जकड़न में राहत मिलती है।
पंचकर्म थैरेपी:
जनु बस्ती: औषधीय तेल से घुटने की थेरेपी।
स्वेदन (स्टीम थेरेपी): घुटनों में ब्लड सर्कुलेशन सुधारने और दर्द कम करने के लिए।
बस्ती (एनिमा थेरेपी): वात दोष को संतुलित करने में सहायक।
आहार एवं जीवनशैली:
गरम पानी पीना, ठंडी चीजें कम खाना।
हल्दी, लहसुन, मेथी, और अलसी का सेवन बढ़ाना।
योग और व्यायाम जैसे वज्रासन, पवनमुक्तासन, और गोमुखासन करना।
2. एलोपैथी में घुटनों के दर्द का उपचार:
एलोपैथी में मुख्य रूप से दर्द निवारण, सूजन कम करना और गंभीर मामलों में सर्जरी तक का विकल्प उपलब्ध होता है।

एलोपैथिक उपचार:
दर्द निवारक दवाएं (NSAIDs):
इबुप्रोफेन, डाइक्लोफेनेक, सेलेकोक्सिब जैसी दवाएं सूजन और दर्द को कम करने में मदद करती हैं।
स्टेरॉयड इंजेक्शन:
अगर दर्द ज्यादा है तो डॉक्टर घुटने में स्टेरॉयड इंजेक्शन दे सकते हैं।
हाइलूरोनिक एसिड इंजेक्शन:
यह एक प्रकार का लुब्रिकेंट है जो जोड़ों में घर्षण कम करता है।
फिजियोथेरेपी:
विशेष व्यायाम से मांसपेशियों को मजबूत किया जाता है।
सर्जरी:
गंभीर गठिया या ऑस्टियोआर्थराइटिस में कnee replacement surgery की जरूरत पड़ सकती है।
कौन सा उपचार बेहतर है?
अगर शुरुआती चरण में दर्द है तो आयुर्वेदिक उपचार और योग काफी प्रभावी हो सकते हैं।
अगर दर्द ज्यादा है और सूजन बनी रहती है तो एलोपैथिक दवाएं और इंजेक्शन काम आते हैं।
क्रॉनिक केस में, एलोपैथी और आयुर्वेद दोनों का संयोजन अच्छा परिणाम दे सकता है।
आपकी स्थिति कैसी है? हल्का दर्द है या पुराना हो गया है?

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