गांव की बेटियां, महिलाएं बन रहीं उद्यमी: हिम इरा शॉप से आत्मनिर्भरता और संस्कृति का नया अध्याय

सफलता की कहानी

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करसोग

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दिनांक: 7 जून, 2025

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मंडी जिले की चुराग विकास खंड की ग्राम पंचायत सवा माहू के अंतर्गत दानवीर कर्ण श्री मूल माहूंनाग मंदिर के श्री चरणों में गाँव की महिलाओं द्वारा दो वर्ष पूर्व शुरू “हिम इरा शॉप” आज आत्मनिर्भरता का प्रतीक बन चुकी है। जहां कभी वे केवल घर की चारदीवारी तक सीमित थीं, वहीं इस शॉप के माध्यम से 100 से अधिक महिलाएं पारंपरिक शिल्प और उत्पादों को नए बाजारों तक पहुंचाकर सालाना एक निश्चित आय अर्जित कर रही हैं।

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मंदिर के कदमों तले व्यापार

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माहूंनाग मंदिर के ठीक पास स्थित इस शॉप में 20 विभिन्न उत्पाद—बांस की टोकरियाँ, ऊनी जैकेट, देशी घी, हल्दी, राजमाह, मोटे अनाज के बीज, हाथ से बनी सजावटी वस्तुएं, आचार–मसाले आदि उपलब्ध हैं। प्रतिमाह यहाँ 25–30 हजार रुपये का कारोबार होता है, जिससे पूरे समूह की सामूहिक आमदनी बढ़कर दो लाख रुपये के करीब पहुंच चुकी है।

संस्कृति का साक्षात् संगम

हिम इरा शॉप सिर्फ खरीद–फरोख्त का केंद्र नहीं, बल्कि ग्रामीण संस्कृति का जीवंत मंच बन चुका है। हर सजीव कला–उत्पाद के साथ पर्यटक गाँव की लोककहानियों, रीति–रिवाजों और हस्तशिल्प के पारंपरिक ज्ञान से रूबरू होते हैं, जो आने वाले पीढ़ी के लिए संरक्षण का काम करता है।

डिजिटल विश्व में कदम

आने वाले समय में हिम इरा समूह ऑनलाइन मार्केटप्लेस से भी जुड़ने के प्रयास कर रहा है। जिसके लिए समूह की महिलाओं को डिजिटल प्रशिक्षण, पैकेजिंग और ब्रांडिंग इत्यादि का वर्कशॉप के माध्यम से प्रशिक्षण देकर तैयार किया जा रहा है, ताकि हिम इरा उत्पाद प्रदेश की सीमाओं से परे, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों तक भी पहुँच सकें।

भविष्य की योजना

समूह की प्रधान का कहना है कि समूह भविष्य की योजना पर भी कार्य कर रहा हैं। महिलाओं द्वारा बनाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के उत्पादों की ब्रांडिंग, पैकेजिंग, उत्पादों को एकरूप लेबल और आकर्षक पैकेटिंग देना हैं। इसके अलावा, ऑनलाइन विस्तार, ई–कॉमर्स पोर्टल पर स्टोर खोलना, सोशल मीडिया प्रचार और
गाँव में ही कारीगरों को नई तकनीक, डिज़ाइन एवं गुणवत्ता नियंत्रण की ट्रेनिंग देने आदि की योजना पर भी समूह कार्य कर रहा हैं।

बाहरी राज्यों से आकर्षण

पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड और बंगाल से आने वाले श्रद्धालु यहाँ के ऊनी जैकेट और हस्तनिर्मित उत्पादों को विशेष रूप से महत्व देते हैं।
जिससे पता चलता है कि ग्रामीण शिल्प को सही मंच और गुणवत्ता मिले तो बड़े बाजारों में भी जमकर प्रतिस्पर्धा की जा सकती है।

पवना ठाकुर (सदस्य, स्वयं सहायता समूह):
“पहले हम घर की दहलीज भी नहीं पार करती थीं, आज खुद अपना उत्पाद बेचते हैं और स्वयं को सशक्त महसूस करते हैं। इससे हमें काफी अच्छा मुनाफा मिल रहा हैं। इसके लिए मैं मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू का धन्यवाद करना चाहती हूं जिन्होंने हमारे लिए आगे बढ़ने के लिए नए रास्ते खोले हैं।

त्वारकू देवी, प्रधान, गंगा स्वयं सहायता समूह (ग्राम संगठन) का कहना है कि “प्रारंभ में हमें उम्मीद भी नहीं थी कि हमारी मेहनत सफल होगी, लेकिन दानवीर कर्ण श्री मूल माहूंनाग के आशीर्वाद और कृपा दृष्टि से हम सभी महिलाएं सफल हो रही हैं। अब हम ‘हिम इरा’ नाम को ब्रांड बनाकर देशभर में पहुंचाना चाहती हैं। जिसके लिए प्रयास किए जा रहे है

“हिम इरा शॉप” न सिर्फ एक व्यावसायिक पहल है, बल्कि महिला सशक्तिकरण और ग्रामीण सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण की दिशा में मील का पत्थर भी है। यह मॉडल देशभर के अन्य ग्रामीण समुदायों के लिए प्रेरणा बनकर उभरेगा, जहाँ गांव की बेटियां और महिलाएं अपनी मेहनत व हुनर से आत्मनिर्भरता और आर्थिक स्वावलंबन दोनों पा रही हैं।

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