*इतिहास की 15 जुलाई :(2023-24) तक की मुख्य घटनाओं सहित पञ्चांग – मुख्यांश ..*


*ॐ श्रीगणेशाय नम:
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*।।शुभप्रभातम् जी।।
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*इतिहास की 15 जुलाई :(2023-24) तक की मुख्य घटनाओं सहित पञ्चांग – मुख्यांश ..*
*आज दिनांक:
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�️ *दिनांक -15 जुलाई 2024*
*दिन – सोमवार*
*विक्रम संवत – 2081*
*शक संवत -1946*
*अयन – दक्षिणायन*
*ऋतु – वर्षा ॠतु*
*मास – आषाढ*
*पक्ष – शुक्ल*
*तिथि – नवमी शाम 07:19 तक तत्पश्चात दशमी*
*नक्षत्र – स्वाती रात्रि 12:30 तक तत्पश्चात विशाखा*
*योग – सिद्ध सुबह 07:00 तक तत्पश्चात साध्य*
*राहुकाल – सुबह 07:30 से सुबह 09:00 तक*
*सूर्योदय-05:31*
*सूर्यास्त- 07:20*
*दिशाशूल – पूर्व दिशा मे*
*व्रत पर्व विवरण- भडली नवमी*
*विशेष – * नवमी को लौकी खाना गोमांस के समान त्याज्य है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*कर्क संक्रांति*
*16 जुलाई 2024 मंगलवार को संक्रांति (पुण्यकाल : सूर्योदय से दोपहर 11:29 तक)*
*इसमें किया गया जप, ध्यान, दान व पुण्यकर्म अक्षय होता है ।*
*चतुर्मास में विद्यार्थियों के लिए उपहार*
*17 जुलाई 2024 बुधवार से चातुर्मास प्रारंभ।*
*चतुर्मास में विद्यार्थी जहाँ भी हैं, अनुष्ठान चालू करें | बाल संस्कारवाले भी लग जायें | रोज सारस्वत्य मंत्र का १७० माला जप करें, मौन रहें, ध्यान करें, अकेले में श्वासोच्छवास गिनें….. तो उन बच्चों को प्रमाणपत्र लेकर नौकरी के लिए भटकना नहीं पड़ेगा, नौकरी तो उनके चरणों की दासी बन जायेगी और सफलता उनके चरण चूमने का इन्तजार करेगी | लेकिन मेरे बच्चे, नहीं रहते कच्चे ! वे सफलता के गुलाम नहीं रहते, वे तो भगवान और सद्गुरु के प्यारे रहते हैं |*
*चतुर्मास*
*चतुर्मास की बड़ी भारी महिमा है, इन बातों को जानकर इस अमृतकाल का लाभ उठाइये।*
*१] सद्धर्म, सत्संग-श्रवण, सत्पुरुषों की सेवा, संतो के दर्शन, भगवान का पूजन आदि सत्कर्मों में संलग्न रहना और सुपात्र हेतु दान देने में अनुराग होना – ये सब बातें चतुर्मास में अत्यंत कल्याणकारी बतायी गयी हैं |*
*२] इन दिनों भूमि पर (चटाई, कम्बल, चादर आदि बिछाकर) शयन, ब्रह्मचर्य-पालन, उपवास, मौन, ध्यान, जप, दान-पुण्य आदि विशेष लाभप्रद होते हैं |*
*३] जल में आँवला मिलाकर स्नान करने से पुरुष तेजवान होता है और नित्य महान पुण्य प्राप्त होता है |*
*४] चतुर्मास में ताँबे के पात्र में भोजन विशेष रूप से त्याज्य है | इन दिनों धातु के पात्रों का त्याग कर पलाश के पत्तों पर भोजन करनेवाला ब्रह्मभाव को प्राप्त होता है, ऐसा शास्त्र में कहा गया है |*
*५] इन दिनों में परनिंदा का विशेष रूप से त्याग करें |*
*६] चतुर्मास में शादी-विवाह और सकाम यज्ञ नहीं होते | ये चार मास साधन-भजन करने के हैं |*
*७] पद्म पुराण में आता है कि जो व्यक्ति भगवान के शयन करने पर विशेषत: उनके नाम का कीर्तन और जप करता है, उसे कोटि गुना फल मिलता है |*
*८] चतुर्मास में भगवान विष्णु के सामने खड़े होकर ‘पुरुष सूक्त’ का पाठ करने से बुद्धिशक्ति बढ़ती है |*