अतुल माहेश्वरी छात्रवृत्ति पाने वाले छात्र भारत-पाकिस्तान सीमा पर पहुंचे, सेना संग बिताया दिन

Sri Ganganagar: Students receiving Atul Maheshwari scholarship reached India-Pak border, spent day with army

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राजस्थान के श्रीगंगानगर की सैन्य छावनी परिसर में बुधवार सुबह आयोजित ‘अपनी आर्मी को जानें’ कार्यक्रम में छात्रों ने सबसे पहले थल सेना के अफसरों और जवानों से मुलाकात की। यहां युद्ध में इस्तेमाल किए जाने वाले अत्याधुनिक हथियारों, दुश्मन के खिलाफ सेना की ओर से अपनाई जाने वाली रणनीति और युद्ध में सेना की दूरसंचार व्यवस्था जैसे अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं को छात्र-छात्राओं ने करीब से जाना। इस दौरान उनके साथ अभिभावक और अमर उजाला फाउंडेशन की टीम के सदस्य मौजूद रहे।

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50 जवानों ने हथियारों और संचार तकनीक से परिचित कराया
श्रीगंगानगर की सैन्य छावनी परिसर में भारतीय सेना (16 रैपिड) के जवानों ने ‘अपनी आर्मी को जानें’ कार्यक्रम का आयोजन किया। इसमें 15 इंफेंट्री ब्रिगेड के 50 जवानों ने छात्रों को हथियारों और संचार तकनीक से परिचित कराया। सूबेदार एसके सिंह, नायक पीएस दास और हवलदार सचिव ने सेना के एनओके वाहन की जानकारी दी, जिसे युद्ध के दौरान सेना आपस में संचार के लिए इस्तेमाल करती है। सेना की सिग्नल कोर ये जिम्मेदारी संभालती है। इसके अलावा मोबाइल कम्युनिकेशन, रेडियो कम्युनिकेशन और वॉकी-टॉकी मोटरोला की जानकारी छात्रों को दी गई। इंफेंट्री में इस्तेमाल होने वाले निजी हथियारों जैसे इंसास राइफल, एलएमजी, रॉकेट लांचर, ऑटोमेटिक ग्रेनेड लांचर, मीडियम मशीन गन, टीआईओआई, आर्टिलरी 105 एमएम, 120 एमएम गन को छात्रों ने हाथों से छूकर जाना।

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टैंक टी-72 एम-1 अजय की सवारी की
सेना का एक ऐसा टैंक जो सर्दी, गर्मी, रेत, कहीं भी, किसी भी मौसम में इस्तेमाल किया जा सकता है। 45 टन इसका वजन है। छात्रवृत्ति प्राप्त करने वाले छात्रों व उनके अभिभावकों ने टैंक टी-72 एम-1 अजय की सवारी की। सिक्योरिटी एनसीओ शिवकुमार ने बताया कि यह आज की पीढ़ी के सबसे बेहतरीन टैंक में से एक है। यह युद्ध के मैदान में दुश्मन को चकमा देने के लिए खुद को छिपा लेता है। इसमें से धुआं निकलता है। जब यह सात गियर में भागता है, तो कोई भी गाड़ी इसकी बराबरी नहीं कर सकती। हर टैंक का अपना एक अलग नाम होता है। यह कभी पराजित नहीं हो सकता, इसीलिए इसका नाम अजय है।

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वीरता भवन में शहीदों को किया नमन
फाजिल्का स्थित वीरता भवन पहुंचकर छात्रों और उनके अभिभावकों ने 1971 की लड़ाई में देश के लिए कुर्बान हुए शहीदों को नमन किया। यहां पर सेवियर्स ऑफ फाजिल्का ब्रिगेड ने छात्रों को बलिदानियों के इतिहास से परिचित कराया। हर साल 16 दिसंबर को यहां पर फाजिल्का विजय दिवस मनाया जाता है, जहां शहीदों के अस्थि शेष आज भी मौजूद हैं। इसके बाद छात्रों ने विक्ट्री टावर के पास आकर सामूहिक रूप से फोटो खिंचवाई और यहां से करीब सात किलोमीटर आगे भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर शाम को 5:30 बजे होने वाली रिट्रीट सेरेमनी देखी।

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रिट्रीट सेरेमनी देखकर देशप्रेम से भर गया रोम-रोम
पहली बार भारत पाकिस्तान बॉर्डर को इतने करीब से देखकर छात्र बेहद रोमांचित दिखे। यहां पर बीएसएफ के जवानों ने छात्रों का स्वागत किया। सादकी बॉर्डर पर शाम को 5:30 बजे से शहीद वाधवा परेड ग्राउंड में रिट्रीट सेरेमनी शुरू हुई। इसमें भारतीय सीमा सुरक्षा बल के जवानों ने वीरता, अनुशासन और रोमांच का मिला-जुला रूप पेश किया। बॉर्डर के उस पार पाकिस्तानी सेना भी परेड करती नजर आई। जैसे भारतीय दल तालियां बजाकर भारत माता के जयघोष से जवानों का हौसला बढ़ा रहे थे। वैसे ही पाकिस्तान के लोग भी अपने जवानों की हौसला-अफजाई कर रहे थे। छात्रों का इतने करीब से यह सब देखना उनके सपने के साकार होने जैसा रहा। सभी छात्र और उनके अभिभावक देर रात बॉर्डर इलाके से छावनी परिसर लौटे।

 

सैन्य छावनी में छात्रों का गर्मजोशी से हुआ स्वागत
सुबह की पहली किरण के साथ ही दो बसों में सवार छात्रों का कारवां श्रीगंगानगर की सैन्य छावनी परिसर में पहुंचा। यहां सेना के जवानों ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। एक कैंटीन के पास छात्रों को सुबह की चाय पिलाई गई। इसके बाद छात्रों और अभिभावकों के दल को आर्मी के गेस्ट हाउस ले जाया गया। यहां करीब घंटेभर में सभी तरोताजा हुए। फिर सुबह का नाश्ता कर देश की सेना को नजदीक से जानने के लिए निकल पड़े। इस दौरान छात्रों की आंखों में चमक और सेना को जानने की ललक देखते ही बन रही थी।

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