हाईकोर्ट ने नाैणी विवि में कार्यवाहक वीसी की नियुक्ति पर सरकार से मांगा जवाब – भारत केसरी टीवी

हाईकोर्ट ने नाैणी विवि में कार्यवाहक वीसी की नियुक्ति पर सरकार से मांगा जवाब

[MADAN SHARMA]

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डॉ. वाईएस परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी में कार्यवाहक कुलपति की नियुक्ति को हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। इसे लेकर डॉ. राकेश कुमार कपिला ने याचिका दायर की है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि वरिष्ठता को दरकिनार कर कार्यवाहक कुलपति की नियुक्ति की गई है। न्यायाधीश संदीप शर्मा की अदालत ने इस मामले में राज्य सरकार को नोटिस जारी करते हुए जवाब तलब किया है। मामले की अगली सुनवाई 9 अक्तूबर को होगी। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ने तर्क दिया कि अधिनियम की धारा 24(5) में यह स्पष्ट प्रावधान है कि नियमित कुलपति की नियुक्ति होने तक सबसे वरिष्ठ संकाय सदस्य को कुलपति नियुक्त किया जाएगा। ऐसे में प्रतिवादी राज्य सरकार की ओर से निजी प्रतिवादी को कुलपति के रूप में नियुक्त करने का कोई औचित्य नहीं था। उन्होंने अदालत को बताया कि कार्यवाहक कुलपति याचिकाकर्ता से कनिष्ठ हैं।

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हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने पदोन्नति आदेश जारी न करने पर संबंधित अधिकारियों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की चेतावनी दी है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि उक्त तिथि तक पदोन्नति आदेश जारी नहीं किए जाते हैं और कोर्ट के समक्ष पेश नहीं किए जाते हैं, तो इसे कोर्ट द्वारा पारित आदेशों की अवमानना माना जाएगा। न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की अदालत ने अतिरिक्त महाधिवक्ता के अनुरोध पर मामले को 14 अक्तूबर को सूचीबद्ध करने का आदेश दिया है, जिससे प्रतिवादी राज्य सरकार याचिकाकर्ताओं के पदोन्नति आदेश रिकॉर्ड पर रख सके। अदालत ने कहा कि कोर्ट आदेशों की जानबूझकर अवज्ञा के लिए संबंधित अधिकारी को दंडित करते हुए उचित आदेश पारित करेगा और कोर्ट इस बीच प्रतिवादियों द्वारा जारी की गई सभी पदोन्नति पर रोक लगाने में भी संकोच नहीं करेगा।

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हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को जिला मंडी के थुनाग में हाल ही में बादल फटने से बह गई पुरानी पांडव शिला-रूशाड़ सड़क को बहाल करने का आदेश दिए हैं। न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की अदालत ने यह स्पष्ट किया है कि कोर्ट किसी नई सड़क का निर्माण करने का आदेश नहीं दे रहा है, बल्कि केवल पुरानी मौजूदा सड़क से पत्थरों आदि को हटाकर उसकी ही बहाली का आदेश दे रहा है। अदालत ने कहा है कि इस वर्ष मानसून के दौरान बह गईं सड़कों की बहाली में किसी भी सिविल कोर्ट या किसी अन्य प्राधिकरण द्वारा पारित कोई भी आदेश राज्य सरकार के रास्ते में नहीं आएगा। मामले की अगली सुनवाई 30 अक्तूबर को होगी। दूसरी ओर जिन व्यक्तियों की जमीनें सड़क ध्वस्त होने से बर्बाद हो गई, उन्होंने भी हाईकोर्ट में एक आवेदन दायर किया है। आवेदन में बताया गया है कि सिविल कोर्ट गोहर में यह मामला विचाराधीन है। प्रभावित व्यक्तियों ने अदालत से मांग की है कि इस सड़क की वजह से उनकी जमीनें, मकान, गोशाला और घराट तबाह हो गए हैं। प्रभावित लोगों के पास रहने के लिए व खेती करने के लिए जमीन तक नहीं बची है। इनका कहना है कि सड़क की फिर से वैज्ञानिक तरीके से मैपिंग की जाए।

न्यायाधीश संदीप शर्मा की अदालत ने इस मामले में राज्य सरकार को नोटिस जारी करते हुए जवाब तलब किया है। मामले की अगली सुनवाई 9 अक्तूबर को होगी।

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