छुआछूत खत्म करने के लिए अंतरजातीय विवाह को बढ़ावा देने की जरूरत, अदालत ने कहा—मध्यकाल की बुराइयों ने धूमिल किए हमारे सांस्कृतिक मूल्य – भारत केसरी टीवी

छुआछूत खत्म करने के लिए अंतरजातीय विवाह को बढ़ावा देने की जरूरत, अदालत ने कहा—मध्यकाल की बुराइयों ने धूमिल किए हमारे सांस्कृतिक मूल्य

[MADAN SHARMA]

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हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि छुआछूत और हर तरह के भेदभाव को खत्म करने के लिए अंतरजातीय विवाह को बढ़ावा देने वाली गतिविधियों को शुरू करना चाहिए। प्राचीन भारतीय समाज में भी अंतरजातीय विवाह स्वीकार्य थे, लेकिन मध्यकाल की बुराइयों के कारण गलत धारणाओं ने हमारी संस्कृति एवं सभ्यता के समृद्ध मूल्यों और सिद्धांतों को धूमिल कर दिया है। शांतनु- सत्यवती का विवाह, सत्यवान-सावित्री, दुष्यंत-शकुंतला अंतरजातीय विवाह के उदाहरण हैं। रामायण में शबरी और निषाद राज से जुड़े उदाहरण जाति, लिंग, स्थिति या किसी अन्य कारण से भेदभाव की वकालत करने वाले लोगों के लिए भी आंखें खोलने वाले हैं।

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हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि प्राचीन भारतीय समाज में भी अंतरजातीय विवाह स्वीकार्य थे, लेकिन मध्यकाल की बुराइयों के कारण गलत धारणाओं ने हमारी संस्कृति एवं सभ्यता के समृद्ध मूल्यों और सिद्धांतों को धूमिल कर दिया है। पढ़ें पूरी खबर..

#Himachal  pradesh high court # Inter-caste marriage acceptable

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